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Saturday, May 19, 2012

प्रदेश में खुलेंगे 38 बीआइटीई

प्रदेश में खुलेंगे 38 बीआइटीई
राजीव दीक्षित लखनऊ, 18 मई : प्राथमिक व उच्च प्राथमिक कक्षाओं के लिए अल्पसंख्यक और अनुसूचित जाति के काबिल शिक्षक तैयार करने के लिए केंद्र सरकार ने राज्यों में ब्लॉक इन्स्टीट्यूट ऑफ टीचर्स एजुकेशन (बीआइटीई) खोलने की मंशा जतायी है। केंद्र सरकार के आर्थिक सहयोग से स्थापित किये जाने वाले बीआइटीई में प्रशिक्षु शिक्षकों को जिला शिक्षा एवं प्रशिक्षण संस्थानों (डायट) की तर्ज पर सेवा पूर्व प्रशिक्षण दिया जाएगा। इसके तहत उप्र के 38 अल्पसंख्यक व अनुसूचित जाति बहुल जिलों में बीआइटीई स्थापित किए जाएंगे। इस संबंध में शासन ने राज्य शैक्षिक अनुसंधान एवं प्रशिक्षण परिषद से विस्तृत प्रस्ताव मांगा है। केंद्र सरकार के मानव संसाधन विकास (एचआरडी) मंत्रालय का मानना है कि बीआइटीई की स्थापना से अल्पसंख्यक व अनुसूचित जाति बहुल इलाकों में शिक्षकों के प्रशिक्षण की बेहतरीन सुविधाएं विकसित होंगी। साथ ही अल्पसंख्यक व अनुसूचित जाति वर्गो के मेधावी शिक्षक के पेशे की ओर आकर्षित होंगे। केंद्र सरकार के अल्पसंख्यक मामलों के मंत्रालय ने जनगणना 2001 के आधार पर देश में 90 अल्पसंख्यक बहुल जिले चिह्नि्त किए थे। अल्पसंख्यक बहुल जिलों के अलावा जनगणना 2001 के आधार पर देश के विभिन्न राज्यों में ऐसे 106 जिले चिह्नि्त किए गए हैं जिनमें अनुसूचित जाति की संख्या कुल आबादी की 25 प्रतिशत से अधिक और अनुसूचित जनजाति की 50 फीसद से अधिक है। एचआरडी मंत्रालय ने इन 196 अल्पसंख्यक व अनुसूचित जाति/जनजाति बहुल जिलों में से प्रत्येक में एक बीआइटीई की स्थापना की मंशा जतायी है। इसके तहत उप्र के अल्पसंख्यक बहुल 21 और अनुसूचित जाति बहुल 17 जिलों में बीआइटीई की स्थापना का इरादा जाहिर किया गया है। बीआइटीई की स्थापना इन जिलों के उन ब्लॉक में की जाएगी जहां पहले से डायट संचालित न हों। एचआरडी मंत्रालय ने बीआइटीई की स्थापना के लिए कई विकल्प सुझाए हैं। एक विकल्प यह है कि जिले में नया बीआइटीई स्थापित किया जाए जिसमें 50 प्रशिक्षुओं के लिए हॉस्टल की भी व्यवस्था होगी। बीआइटीई के लिए जमीन राज्य सरकार मुहैया कराएगी जबकि इसकी स्थापना पर होने वाले सिविल कार्यो के लिए केंद्रीय सहायता दी जाएगी। उपकरणों के लिए 20 लाख रुपये की केंद्रीय सहायता मिलेगी। बीआइटीई में सृजित होने वाले पदों के वेतन के लिए भी आवर्तक केंद्रीय सहायता दी जाएगी। दूसरा विकल्प यह है कि ऐसे जिलों में डायट के अलावा संचालित किसी शिक्षण प्रशिक्षण संस्थान को बीआइटीई के रूप में उच्चीकृत कर दिया जाए। तीसरा विकल्प यह है कि इन जिलों में संचालित अच्छे आरंभिक शिक्षण प्रशिक्षण संस्थानों से संपर्क कर उनमें अल्पसंख्यक व अनुसूचित जाति के योग्य प्रशिक्षुओं को प्रशिक्षण दिलाने की संभावनाएं तलाशी जाएं। इन प्रशिक्षुओं के प्रशिक्षण का खर्च सरकार वहन करेगी।source-dainik jagran 19/5/12