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Tuesday, July 24, 2012

अध्यापक पात्रता परीक्षा (टीईटी)-2011 को कैबिनेट ने निरस्त न करते हुए उसे पात्रता परीक्षा का दर्जा देने का फैसला किया है।

UPTET-अध्यापक पात्रता परीक्षा (टीईटी)-2011 को कैबिनेट ने निरस्त न करते हुए उसे पात्रता परीक्षा का दर्जा देने का फैसला किया है। 
 लखनऊ बेसिक शिक्षा परिषद के प्राथमिक स्कूलों में शिक्षकों की भर्ती के लिए बीते वर्ष आयोजित की गई अध्यापक पात्रता परीक्षा (टीईटी)-2011 को कैबिनेट ने निरस्त न करते हुए उसे पात्रता परीक्षा का दर्जा देने का फैसला किया है। कैबिनेट के फैसले के बाद शिक्षकों का चयन पुरानी व्यवस्था के अनुसार हाईस्कूल, इंटरमीडिएट और स्नातक स्तर पर पाए गए अंकों के आधार पर जिला स्तर पर तैयार की जाने वाली मेरिट के जरिए होगा। पात्रता परीक्षा का दर्जा मिलने की वजह से टीईटी-2011 उत्तीर्ण करने वाले अभ्यर्थी शिक्षकों की नियुक्ति के लिए आवेदन कर सकेंगे। शिक्षकों के चयन की पुरानी व्यवस्था बहाल करने के लिए कैबिनेट को उप्र बेसिक शिक्षा (अध्यापक) सेवा नियमावली में संशोधन करना होगा। साथ ही, 72,825 शिक्षकों की नियुक्ति के लिए जारी केंद्रीयकृत विज्ञप्ति को निरस्त कर संशोधित नियमावली के आधार पर नये सिरे से जिला स्तर पर विज्ञप्ति जारी करनी होगी। राष्ट्रीय अध्यापक शिक्षा परिषद (एनसीटीई) ने 11 फरवरी 2011 को राज्यों को जारी दिशानिर्देश में टीईटी को पात्रता परीक्षा का दर्जा दिया था। मायावती सरकार ने 13 नवंबर को आयोजित टीईटी से महज चार दिन पहले एनसीटीई की मंशा के विपरीत टीईटी की मेरिट को ही शिक्षक चयन का आधार बनाने का फैसला किया था। इस मकसद से कैबिनेट ने उप्र बेसिक शिक्षा (अध्यापक) सेवा नियमावली के नियम-14 में संशोधन किया था। विवादों व अनियमितता के घेरे में आये टीईटी-2011 के सभी पहलुओं का परीक्षण करने के लिए मुख्यमंत्री अखिलेश यादव ने मुख्य सचिव जावेद उस्मानी की अध्यक्षता में उच्च स्तरीय समिति गठित की थी। गौरतलब है प्राथमिक स्कूलों में शिक्षकों की नियुक्ति के लिए आयोजित टीईटी में 2,92,913 व उच्च प्राथमिक स्तर की परीक्षा में 2,64,928 अभ्यर्थी उत्तीर्ण हुए हैं।
NEWS SOURCE-DAINIK JAGRAN 24/07/12

Tuesday, May 22, 2012

70000 बेरोजगारों को सत्यापन का इंतजार

70000 बेरोजगारों को सत्यापन का इंतजार
इलाहाबाद : बेरोजगारी भत्ते के लिए ऑनलाइन रजिस्ट्रेशन कराने वाले 70 हजार बेरोजगारों को फिलहाल मायूसी ही मिली है। अब तक उनके आवेदन का सत्यापन नहीं शुरू हो सका है। ऐसे में जुलाई में भत्ता हासिल करने की उनकी आस टूटती दिखाई पड़ रही है। सपा सरकार के सत्ता में आने के बाद बेरोजगारी भत्ता पाने की उम्मीद में लाखों बेरोजगारों ने सेवायोजन कार्यालय में पंजीकरण कराया था। उस दौरान रोजगार दफ्तर में भारी भीड़ होने से तकरीबन 70 हजार बेरोजगारों ने ऑनलाइन रजिस्ट्रेशन कराया था। इन आवेदकों के आवेदन का अभी तक सत्यापन नहीं हो सका है, जबकि 15 मार्च से पहले आवेदन करने वालों को जुलाई में भत्ता दिए जाने का प्रावधान था। ऐसे में सत्यापन के लिए आवेदक रोजगार दफ्तर के चक्कर लगा रहे हैं। वहीं नए रजिस्ट्रेशन के लिए बड़ी संख्या में आवेदकों को फिर से पंजीकरण शुरू होने का इंतजार है। फिलहाल सेवायोजन कार्यालय के अधिकारियों का कहना है कि शासनादेश आने के बाद ही फिर से पंजीकरण शुरू होगा। इस सिलसिले में सेवायोजन अधिकारियों की मंगलवार को जिलाधिकारी के साथ बैठक होनी है। जिला सहायक सेवायोजन अधिकारी डीएस त्रिपाठी का कहना है कि बैठक के बाद दो-चार दिनों में फिर से रजिस्ट्रेशन शुरू हो जाएंगे। पूर्व में हुए पंजीकरण का सत्यापन चल रहा है, जल्द ही उसे पूरा कर लिया जाएगा।
source-dainik jagran 22/5/12

Wednesday, April 18, 2012

अनुदेशकों के 41307 पद स्वीकृत किए गए

अनुदेशकों के 41307 पद स्वीकृत किए गए
लखनऊ: शिक्षा के अधिकार अधिनियम के तहत 100 से अधिक नामांकन वाले उच्च प्राथमिक स्कूलों में कला, स्वास्थ्य एवं शारीरिक शिक्षा व कार्य शिक्षा के लिए अंशकालिक अनुदेशकों के 41307 पद स्वीकृत किए गए हैं। बेसिक शिक्षा मंत्री राम गोविंद चौधरी ने विभागीय अधिकारियों को इन पदों को भरने के लिए शीघ्र ही नीति निर्धारित करने का निर्देश दिया है। मंत्री ने बताया कि शिक्षा के अधिकार अधिनियम के तहत वित्तीय सहायता प्राप्त और निजी स्कूलों में 25 प्रतिशत सीटों पर वंचित और निर्धन वर्ग के बच्चों को प्रवेश दिलाया जाना है। इस पर होने वाले व्यय की प्रतिपूर्ति राज्य सरकार करेगी। इस मकसद से वंचित और दुर्बल वर्ग को राज्य सरकार द्वारा परिभाषित किया जाएगा ताकि नए सत्र में गरीब बच्चों को इसका लाभ मिल सके।
news -dainik jagran 18/4/12

भत्ते के बाद अब नौकरी की तलाश!

भत्ते के बाद अब नौकरी की तलाश!
लखनऊ, 17 अप्रैल (जासं): बेरोजगारी भत्ते को लेकर मंगलवार को एक बार फिर अधिकारियों के बीच माथापच्ची हुई, लेकिन गाइड लाइन पर अंतिम निर्णय नहीं हो सका। मुख्य सचिव की अध्यक्षता में हुई बैठक में हाईस्कूल से ऊपर योग्यता वाले 18-35 आयु वाले बेरोजगारों को भत्ता देने और उनसे काम लेने पर कई अधिकारियों ने सहमति व्यक्त की लेकिन अन्य बिंदुओं पर एक राय नहीं बन सकी। हालांकि बेरोजगारी भत्ते की श्रेणी में न आने वाले बेरोजगारों को नौकरी के अवसर जुटाने के लिए अधिकारियों को निर्देश दिए गए। बेरोजगारी भत्ते के बदले उनसे क्या काम लिया जाएगा? कितने दिन काम करने के बाद उन्हें बेरोजगारी भत्ता दिया जाएगा? 18 लाख को बेरोजगारी भत्ता देने के बाद शेष बचे 14 लाख बेरोजगारों को नौकरी कैसे दी जाएगी? जैसे कई बिंदुओं पर विस्तार से चर्चा की गई। सरकार की बहुप्रतीक्षित योजना का लाभ सही मायने में बेरोजगारों को मिल सके इसे लेकर अधिकारी भी कोई कसर छोड़ना नहीं चाहिए। फिर बढ़ेगी भीड़ बेरोजगारों के पंजीकरण से अभी राहत भी नहीं मिल सकी थी कि एक बार फिर से सेवायोजन कार्यालय पर भीड़ जुटाने की तैयारी शुरू हो गई है। बेरोजगारी भत्ते की श्रेणी में आने वाले बेरोजगारों को एक बार फिर फोटोयुक्त आवेदन पत्र जमा करना होगा। बेरोजगार उन्हीं सेवायोजन कार्यालय में आवेदन जमा करेंगे, जहां उन्होंने पंजीकरण कराया है। हालांकि, आवेदन पत्र कब से जमा होंगे? इसका निर्धारण गाइड लाइन बनने के बाद ही किया जाएगा। आवेदन पत्र के साथ शपथ पत्र, निवास प्रमाण पत्र के साथ योग्यता व कही काम न करने का प्रमाण पत्र भी लगाना होगा। अधिकारी भीड़ से निपटने के लिए रणनीति बनाने में जुट गए हैं।  news -dainik jagran 18/4/12


टीईटी उत्तीर्ण अभ्यर्थियों ने मांगी भीख

टीईटी उत्तीर्ण अभ्यर्थियों ने मांगी भीख
लखनऊ : उत्तर प्रदेश अध्यापक पात्रता परीक्षा उत्तीर्ण अभ्यर्थियों ने मंगलवार को विधानभवन के समक्ष भिक्षा मांगकर अपनी पीड़ा और क्षोभ का प्रदर्शन किया। अभ्यर्थियों ने बताया कि छह माह पहले शुरू हुई प्रक्रिया में फार्म भरने व विभिन्न जिलों में आवेदन करने में आर्थिक और मानसिक शोषण भी झेला है। अभ्यर्थी गणेश दीक्षित और निर्भय सिंह ने बताया कि इसके बाद भी अब तक अभ्यर्थियों का भला न होने से आहत दो अभ्यर्थी अंगद चौरसिया और महेंद्र सिंह की मौत हो गई। उन्होंने बताया कि प्रदेश सरकार से सकारात्मक बातचीत व निरंतर प्रदर्शनों के बावजूद सरकार ने अभ्यर्थियों की भर्ती प्रक्रिया की बाबत कोई ठोस कदम नहीं उठाया है।
news-dainik jagran 18/4/12

लखनऊ। मुख्य सचिव जावेद उस्मानी की अध्यक्षता में बुधवार को हुई हाई पावर कमेटी की बैठक में शिक्षक पात्रता परीक्षा (टीईटी) 2011 को संबंध में फिर 18 अप्रैल को बैठक करेंगे

लखनऊ। मुख्य सचिव जावेद उस्मानी की अध्यक्षता में बुधवार को हुई हाई पावर कमेटी की बैठक में शिक्षक पात्रता परीक्षा (टीईटी) 2011 को निरस्त किया जाने पर निर्णय नहीं हो सका। बैठक में यह तय किया गया कि रमाबाई नगर पुलिस कोे जांच के लिए टीईटी से संबंधित जो भी दस्तावेज की जरूरत हो, उसे उपलब्ध करा दिया जाए। मुख्य सचिव इस संबंध में फिर 18 अप्रैल को बैठक करेंगे। बताया जाता है कि इस संबंध में रमाबाई नगर पुलिस की जांच रिपोर्ट को यदि आधार माना गया तो टीईटी को निरस्त करने की संस्तुति की जा सकती है।
 news -amar ujala

Tuesday, April 17, 2012

(एनसीटीई) ने मानक पूरा न करने वाले प्रदेश के 115 बीएड कॉलेजों का पंजीकरण खारिज करने की तैयारी कर ली है।

बीएड में दाखिला लेने के लिए तैयारी कर रहे अभ्यर्थियों को संस्थानों के बारे में ज्यादा सचेत रहने की जरूरत है। बीएड, बीटीसी के लिए संस्थानों को मान्यता देने वाली संस्था नेशनल काउंसिल ऑफ टीचर्स एजुकेशन (एनसीटीई) ने मानक पूरा न करने वाले प्रदेश के 115 बीएड कॉलेजों का पंजीकरण खारिज करने की तैयारी कर ली है।

आरोप है कि इन संस्थानों में सामान्य जूनियर स्कूलों जैसी सुविधाएं भी नहीं हैं। सुविधा विस्तार के लिए उन्हें मौका दिया गया, नोटिस थमाया गया लेकिन संचालकों ने इसे तवज्जो नहीं दी। एनसीटीई ने सभी संस्थानों से पंजीकरण का नवीनीकरण कराने को कहा है। तैयारी है कि मानक पूरे न करने वाले संस्थानों का नवीनीकरण नहीं किया जाएगा।

जिन संस्थानों के नवीनीकरण को लेकर सवाल खड़े किए जा रहे हैं, उनमें ज्यादातर कालेज इलाहाबाद, कानपुर, वाराणसी, गोरखपुर, झांसी, लखनऊ, आगरा, मेरठ के हैं। संस्थानों को चार से पंच वर्ष पहले मान्यता दी गई। मानक पूरा करने को दो वर्ष का समय भी दिया गया लेकिन संस्थान इस पर खरे नहीं उतरे।

इस सत्र में नवीनीकरण से पहले एनसीटीई ने सभी कॉलेजों का स्थलीय सत्यापन कराया। स्थलीय सत्यापन में तीन तरह की रिपोर्ट तैयार की जानी थी। पहली रिपोर्ट में ही इन संस्थानों की मान्यता खत्म करने की संस्तुति कर दी गई है।

शिक्षकों को कर्तव्य बोध कराएगी डायरी

पाकेट डायरी में होगा सूचनाओं का पिटारा
हर पन्ने पर लिखा होगा सुक्ति वाक्य
वाराणसी। बेसिक शिक्षा विभाग एक ऐसी डायरी तैयार कर रहा है जिसमें सूचनाओं का पिटारा होगा। यह डायरी सूक्ति वाक्य से शिक्षकों को उनके कर्तव्य बोध तो कराएगी ही साथ में आरटीआई, आरटीई, सर्व शिक्षा अभियान से जुड़ी सभी जानकारियां भी अभिभावकों को उपलब्ध होंगी। योजना का उद्देश्य बच्चों में संस्कार पैदा करना, एक दूसरे के प्रति सम्मान, स्कूल में शैक्षिक माहौल बनाना, शिक्षकों में बच्चों के प्रति प्यार, पढ़ाई के बारे में जानकारी देना है।
बेसिक शिक्षा विभाग की यह कवायद रंग लाई तो इसे शिक्षकों को जुलाई से दे दिया जाएगा। हालांकि विभाग की ओर से अभी इसका नाम भी नहीं दिया गया है लेकिन फिलहाल पाकेट डायरी नाम से प्लान तैयार कराया जा रहा है। जिसे शिक्षक पाकेट में रख सकेंगे। जिला समन्वयक साहब सिंह यादव का कहना है कि अभी प्लान तैयार की जा रही है। इसमें शिक्षकों, बीआरसी केंद्रों से शिक्षा से संबंधित सुक्ति वाक्य, मुहावरा मांगा गया है। जिले स्तर पर इसे तैयार कर लखनऊ भेजा जाएगा, वहां से अंतिम रूप मिलने के बाद इसे जुलाई में शिक्षकों को बांट दिया जाएगा ताकि आम आदमी भी स्कूलों से जानकारी ले सके।  news -amar ujala 17/4/12

शिक्षकों ने की नियमित करने की मांग

शिक्षकों ने की नियमित करने की मांग
सहारनपुर  : अखिल भारतीय मदरसा शिक्षक संघ की बैठक में मदरसा शिक्षकों को नियमित करने के लिए सरकार से कदम उठाए जाने की मांग की गई।रविवार को गांधी पार्क में हुई बैठक में संघ के जिलाध्यक्ष जुबैर आलम ने कहा कि मदरसा शिक्षक लंबे समय से आधुनिक शिक्षा प्रदान कर रहे हैं, इसके बावजूद उन्हें न तो समय से मानदेय मिल रहा है और न ही उनके नियमितिकरण के लिए कदम उठाए गए

भर्ती से पहले शासन को बताएं कंपनियां

भर्ती से पहले शासन को बताएं कंपनियां
 लखनऊ उत्तर प्रदेश में प्रशिक्षण एवं सेवायोजन विभाग अपने पुराने नियमों को सख्त बनाकर बेरोजगारों को नौकरी के अधिक अवसर उपलब्ध कराने की तैयारी कर रहा है। नियमों के तहत सरकारी एवं गैर सरकारी संस्थानों को 25 से अधिक कर्मचारियों की नियुक्ति की सूचना सेवायोजन विभाग को देनी होती है, लेकिन अभी तक संस्थान इसमें ढिलाई बरतते रहे हैं। अब उन्हें इसकी सूचना विभाग को ऑनलाइन अनिवार्य रूप से देनी ही होगी। उत्तर प्रदेश में रिक्तियों की अनिवार्य अधिसूचना अधिनियम-1959 प्रक्रिया को ऑनलाइन करने की तैयारी की जा रही है। सरकारी व गैर सरकारी संस्थाओं को नौकरी देने से पहले रिक्तियों की सूचना सेवायोजन कार्यालयों को देनी होती है। हर तिमाही पर सूचना देने के प्रावधानों के बावजूद निजी कंपनियां सूचना देने से कतराती हैं। सेवायोजन विभाग के अधिकारियों को ऐसा न करने वाली संस्थाओं को चिह्नित कर उनके ऊपर कार्रवाई करने का अधिकार है। इसके बावजूद यह नियम सिर्फ कागजों तक सीमित रह गया है। 35 से 45 उम्र के बीच के बेरोजगारों को भत्ता देने की कवायद के बीच अब बचे बेरोजगारों को नौकरी के रास्ते खोलने के लिए अधिसूचना नियम को सख्त बनाया जा रहा है। सेवायोजकों को अब न केवल नौकरी की सूचना ऑन लाइन विभाग को उपलब्ध करानी होगी बल्कि उन्हें नौकरी पर रखने वाले बेरोजगारों की संख्या के बारे में भी बताना होगा। ऐसा न करने वाले सेवायोजकों पर सख्त कार्रवाई की तैयारी की जा रही है। सरकार की इस कवायद को बेरोजगारों को रोजगार देने की पहल के रूप में देखा जा रहा है। इस सख्ती का असर यह होगा कि सरकारी और गैर सरकारी संस्थाएं गुपचुप तरीके से नियुक्तियां नहीं कर पाएंगी और सरकार को भी इस बात की जानकारी होगी कि बेरोजगारों की संख्या में कितनी कमी आई है। उत्तर प्रदेश में 2009 में निजी सेवायोजकों की संख्या 8376 थी जो 2010 में बढ़कर 8404 हो गई, जबकि विभाग के आंकड़ों के मुताबिक प्रदेश में नॉन एक्ट व एक्ट के तहत 5.20 लाख कर्मचारी कार्यकर रहे हैं। जबकि सार्वजनिक क्षेत्र में नौकरी करने वाले कर्मचारियों की संख्या 16.31 लाख है। news -dainik jagran 17/4/12

टीचर भरती नियमों में संशोधन होगा!

टीचर भरती नियमों में संशोधन होगा!
 केंद्र के नियमों से उलट हरियाणा सरकार द्वारा बनाए गए टीचर भरती नियमों में संशोधन हो सकता है। यह संकेत शिक्षा मंत्री गीता भुक्कल ने सोमवार को दिए। प्रदेश सरकार ने नए नियमों में प्रावधान किया है कि टीचर भरती के लिए वे लोग भी आवेदन कर सकेंगे जिन्होंने टीचर इलेजिबिलिटी टेस्ट (टीईटी) पास नहीं किया है लेकिन उन्हें चार साल का टीचिंग अनुभव है। प्रदेश सरकार के इस फैसले से सवा लाख टीईटी पास युवा नाराज हैं और नियमों में बदलाव वापस लेने की मांग कर रहे हैं। अब सरकार ने आंदोलन कर रहे टेस्ट पास पात्र अध्यापक संघ को बातचीत का न्योता दिया है। हरियाणा सरकार ने शिक्षा की गुणवत्ता बढ़ाने के लिए चार साल पहले टीचर भरती के लिए स्टेट टीचर इलेजिबलिटी टेस्ट (स्टेट) पास करना अनिवार्य कर दिया था। उस समय देश के किसी भी राज्य में यह टेस्ट अनिवार्य नहीं था। लेकिन राइट टू एजुकेशन एक्ट के तहत केंद्र सरकार ने टीचर भरती के लिए यह टेस्ट अनिवार्य कर दिया। केंद्र की तर्ज पर पंजाब सरकार ने भी अपने यहां टेस्ट आयोजित किया, जिसे पास करने वालों को पंजाब सरकार ने टीचर भी नियुक्त कर लिया। इधर, हरियाणा सरकार ने अब टीचर भरती के लिए जो नियम बनाए हैं, उनमें इस टेस्ट की शर्त हटा ली है। नए नियम में प्रावधान किया गया है कि आवेदक को नियुक्ति के तीन साल के भीतर टेस्ट पास करना होगा।  news -amar ujala 17/4/12

राज्य स्तरीय बीएड प्रवेश परीक्षा 23 अप्रैल को दो पालियों में होगी

बीएड की प्रवेश परीक्षा में 56 केंद्रों पर 30,168 परीक्षार्थी
वाराणसी : राज्य स्तरीय बीएड प्रवेश परीक्षा 23 अप्रैल को दो पालियों में होगी। इस परीक्षा के लिए जनपद में 30,168 परीक्षार्थियों के लिए 56 केंद्र बनाए गए है। परीक्षा के लिए महात्मा गांधी काशी विद्यापीठ नोडल केंद्र बनाया गया है। इसे वाराणसी, संत रविदासनगर (भदोही) व मीरजापुर जनपदों में प्रवेश परीक्षा की जिम्मेदारी सौंपी गई है। परीक्षा के नोडल अधिकारी तथा विद्यापीठ के कुलसचिव एसएल मौर्य ने बताया कि भदोही में 1442 व मीरजापुर में 3460 अभ्यर्थी प्रवेश परीक्षा में शामिल होंगे। परीक्षा के लिए भदोही में दो व मीरजापुर में सात केंद्र बनाए गए हैं। प्रो. मुन्नी लाल विश्वकर्मा को वाराणसी जनपद का समन्वयक बनाया गया है। इसी क्रम में डॉ. पीएल द्विवेदी को भदोही व डॉ. विनोद कौशिक को मीरजापुर का उप समन्वयक बनाया गया है। कहा कि शासन ने इस बार बीएड की संयुक्त प्रवेश परीक्षा के आयोजन की जिम्मेदारी फैजाबाद स्थित डॉ. राम मनोहर लोहिया अवध विश्वविद्यालय को सौंपी है। निर्देश के अनुसार 250 परीक्षार्थियों पर एक पर्यवेक्षक की तैनाती की जाएगी। परीक्षा की तैयारी के लिए 17 अप्रैल को सभी नोडल अधिकारियों की बैठक फैजाबाद में बुलाई है। इस क्रम में विद्यापीठ नोडल केंद्र से जुड़े सभी पर्यवेक्षकों व केंद्राध्यक्षों की बैठक 21 अप्रैल को अपराह्न तीन बजे से विद्यापीठ परिसर होगी।  news-dainik jagran 17/4/12

Monday, April 16, 2012

उत्तर प्रदेश लोक सेवा आयोग ने राजकीय डिग्री कॉलेजों में 29 विषयों के प्रवक्ता के 267 पदों पर नियुक्ति के लिए ऑनलाइन आवेदन शुरू हो गए हैं।

उत्तर प्रदेश लोक सेवा आयोग ने राजकीय डिग्री कॉलेजों में 29 विषयों के प्रवक्ता के 267 पदों पर नियुक्ति की प्रक्रिया शुरू की है। इसके लिए ऑनलाइन आवेदन शुरू हो गए हैं। राजकीय डिग्री कॉलेजों में प्रवक्ता और इलाहाबाद विश्वविद्यालय में एसोसिएट प्रोफेसर (प्रवक्ता पद का परिवर्तित नाम) की नियुक्ति में दोहरे मानक अपनाए जा रहे हैं।


राजकीय कॉलेजों में डीफिल और एमफिल करने वालों को राष्ट्रीय पात्रता परीक्षा (नेट) और राज्य पात्रता परीक्षा (स्लेट) से छूट देने की बात कही गई है जबकि इविवि में यूजीसी रेगुलेशन 2009 के मुताबिक पीएचडी डिग्री पाने वालों को ही नेट और स्लेट से छूट देने का प्रावधान किया गया है। इससे इविवि की भर्ती में दिसंबर 2009 के पूर्व के पीएचडीधारकों को नेट और स्लेट से छूट मिलना मुश्किल हो गया है क्योंकि इसके पूर्व के ज्यादातर पीएचडीधारकों की डिग्री यूजीसी रेगुलेशन के मुताबिक नहीं है। लोक सेवा आयोग की ओर से राजकीय डिग्री कॉलेजों में प्रवक्ता पद पर नियुक्ति के लिए जारी विज्ञापन में साफ कहा गया है कि डीफिल और एमफिल करने वालों के लिए नेट और स्लेट की अनिवार्यता नहीं होगी। विश्वविद्यालयों और महाविद्यालयों में शिक्षकों की नियुक्ति के लिए शैक्षिक अर्हता सहित अन्य मानक विश्वविद्यालय अनुदान आयोग ही तय करता है। बहरहाल, राजकीय कॉलेजों में नियुक्ति के लिए यूजीसी रेगुलेशन 2009 के मुताबिक डीफिल और एमफिल की अनिवार्यता न किए जाने से प्रतियोगियों ने राहत की सांस ली है। ऑनलाइन आवेदन 10 मई तक स्वीकार किए जाएंगे।

अभ्यर्थियों ने निकाला कैंडिल मार्च


अभ्यर्थियों ने निकाला कैंडिल मार्च
 मिर्जापुर। टीईटी संघर्ष मोर्चा की बैठक में महेंद्र सिंह पुत्र खानचंद्र निवासी खुदादिया अहमदगढ़ डिबाई बुलंदशहर और संत कबीर नगर के अंगद चौरसिया के आकस्मिक निधन पर गहरा दुख व्यक्त किया गया। दोनों टीईटी उत्तीर्ण बेरोजगारों की मौत दिमाग की नस फटने से हुई है। सरकार द्वारा चयन में आनाकानी का रवैया अपनाने के चलते इन्हें गहरा आघात लगा था। दिवंगत आत्माओं की शांति के लिए टीईटी उत्तीर्ण बेरोजगारों ने कैंडिल मार्च निकाला। वक्ताओं ने कहा कि महेंद्र सिंह ने टीईटी की परीक्षा अच्छे अंकों से पास की थी। उन्हें टीईटी प्राप्तांक के आधार पर प्राथमिक शिक्षक चयन प्रक्रिया में चयन का पूरा विश्वास था, लेकिन सरकार व प्रशासन की भर्ती प्रक्रिया पर गैर जिम्मेदाराना बयानबाजी व बदले की राजनीति से काम करने के कारण उन्हें गहरा आघात लगा। जिसे वह सहन नहीं कर सके। ठीक ऐसी ही घटना कुछ दिन पहले संत कबीर नगर जिले के स्व. अंगद चौरसिया के साथ घटी। वक्ताओं ने कहा कि सरकार का यही रवैया रहा तो टीईटी उत्तीर्ण बेरोजगार कई और लोग इसका शिकार हो सकते हैं।

टीईटी अभ्यर्थियों ने मुख्यमंत्री के विरोध में धरना दिया।

प्रतापगढ़। मुख्यमंत्री से मिला आश्वासन टूट गया तो नाराज टीईटी अभ्यर्थियों ने विरोध में कचहरी में धरना दिया। इस दौरान लोगों ने प्रदेश सरकार से आश्वासन पूरा किए जाने की मांग की। रविवार को जिला कचहरी परिसर में टीईटी संघर्ष मोर्चा के जिलाध्यक्ष विवेक सिंह की अगुवाई में अभ्यर्थियों ने धरना दिया। ये लोग प्रदेश के मुख्यमंत्री अखिलेश यादव से खासे नाराज रहे। इनका आरोप था कि लखनऊ में मुलाकात के दौरान मुख्यमंत्री ने उनकी मांगों को पूरा किए जाने का आश्वासन दिया था। उनके आश्वासन पर संगठन के साथियों ने मुख्यमंत्री के प्रति आभार भी जताया था। उन्हें उम्मीद नहीं थी कि आश्वासन देने के बाद मुख्यमंत्री पलट जाएंगे। धरने पर बैठे अभ्यर्थियों में इस बात का रंज रहा कि आखिर वह कौन सी मजबूरी रही जिसके आगे मुख्यमंत्री भी असहाय हो गए। अभ्यर्थियों का कहना था कि नियमों के तहत ही शिक्षकों का चयन होना चाहिए। इसकी अनदेखी हुई तो वे सभी सड़क से लेकर न्यायालय तक संघर्ष करेंगे। इस मौके पर टीईटी संघर्ष मोर्चा के पदाधिकारी और सदस्य मौजूद रहे। amar ujala 16/4/12

टीईटी अभ्यर्थियों का मार्च

टीईटी अभ्यर्थियों का मार्च
इलाहाबाद : टीईटी उत्तीर्ण अभ्यर्थियों ने रविवार को कैंडिल मार्च किया और ंशांति जुलूस निकाला। दोपहर बाद सैकड़ों की संख्या में टीईटी अभ्यर्थी चन्द्रशेखर आजाद की प्रतिमा के सामने एकत्र हुए। अभ्यर्थियों ने सुभाष चौराहा सिविल लाइन तक शांति जुलूस और निकाला। इस दौरान जुलूस में शामिल अभ्यर्थियों ने सरकार से टीईटी परीक्षा के बारे में जल्द ही ठोस निर्णय लिए जाने की मांग की। मृत अभ्यर्थी को दी श्रद्घांजलि : टीईटी उत्तीर्ण अभ्यर्थियों ने मार्च के दौरान दो मिनट का मौन रखकर मृत दो टीईटी अभ्यर्थियों को श्रद्धांजलि दी। उत्तर प्रदेश टीईटी संघर्ष मोर्चा ने सरकार से मृत टीईटी अभ्यर्थी अंगद चौरसिया और महेन्द्र सिंह के परिवार वालों को पांच-पांच लाख की आर्थिक सहायता दिए जाने की भी मांग की। जुलूस में शामिल लोगों ने हाथों में मोमबत्ती और मृतको को सहायता दिए जाने की अपील के पोस्टर थाम रखे थे। dainik jagran 16/4/12

नौकरी देने का सपना इस तरह होगा पूरा

नौकरी देने का सपना इस तरह होगा पूरा
लखनऊ,  बेरोजगारों को बेरोजगारी भत्ते के साथ ही नौकरी देने के मुख्यमंत्री की घोषणा को अमली जामा पहनाने में अधिकारी भी जुट गए हैं। प्रशिक्षण एवं सेवायोजन विभाग अपने पुराने नियमों को सख्त बनाकर बेरोजगारों को नौकरी के अधिक अवसर उपलब्ध कराने की तैयारी कर रहा है। इसके तहत रिक्तियों की अनिवार्य अधिसूचन अधिनियम-1959 प्रक्रिया को ऑन लाइन करने की तैयारी की जा रही है। सरकारी व गैर सरकारी संस्थाओं को नौकरी देने से पहले इसकी सूचना सेवायोजन कार्यालयों को देनी होती है। 25 से अधिक कर्मचारियों को तैनाती देने वाले सभी निजी व सरकारी संस्थाओं को रिक्तियों की अनिवार्य अधिसूचन अधिनियम-1959 के तहत सूचना देना अनिवार्य होता है। हर तिमाही पर सूचना देने के प्रावधानों के बावजूद निजी कंपनियां सूचना देने से कतराते हैं। सेवायोजन विभाग के अधिकारियों को ऐसा न करने वाले संस्थाओं को चिह्नित कर उनके ऊपर कार्रवाई करने का अधिकार है। इसके बावजूद यह नियम सिर्फ कागजों तक सीमित रह गया है। 35 से 45 उम्र वाले बीच के बेरोजगारों को बेरोजगारी भत्ता देने की कवायद के बीच अब बचे बेरोजगारों को नौकरी के रास्ते खोलने के लिए अधिसूचन नियम को सख्त बनाया जा रहा है। सेवायोजकों को अब न केवल नौकरी की सूचना ऑन लाइन विभाग को उपलब्ध कराना होगा बल्कि उन्हें नौकरी पर रखने वाले बेरोजगारों की संख्या के बारे में भी बताना होगा। ऐसा न करने वाले सेवायोजकों पर सख्त कार्रवाई की तैयारी की जा रही है। गौरतलब है कि प्रदेश में 2009 में निजी सेवायोजकों की संख्या 8376 थी जो 2010 में बढ़कर 8404 हो गई जबकि विभाग के आंकड़ों के मुताबिक प्रदेश में नॉन एक्ट व एक्ट के तहत 5.20 लाख कर्मचारी कार्यकर रहे हैं। जबकि सार्वजनिक क्षेत्र में नौकरी करने वाले कर्मचारियों की संख्या 16.31 लाख है।
dainik jagran 16/4/12

आसान नहीं होगा निजी स्कूलों में गरीबों का दाखिला

लखनऊ, जागरण ब्यूरो : बच्चों को नि:शुल्क तथा अनिवार्य शिक्षा का अधिकार अधिनियम के तहत गरीब नौनिहालों को 25 फीसदी सीटों पर दाखिला देने के प्रावधान पर सुप्रीम कोर्ट ने भले ही मुहर लगा दी हो लेकिन सूबे में इस पर अमल आसान नहीं लगता। निजी स्कूलों की 25 प्रतिशत सीटों पर गरीब बच्चों को प्रवेश देने के मामले में बेसिक शिक्षा विभाग के अधिकारियों के अपने-अपने तर्क हैं। अधिनियम की धारा 12(1)(सी) में स्पष्ट उल्लेख है कि निजी स्कूलों को कक्षा एक की न्यूनतम 25 प्रतिशत सीटों पर पड़ोस में रहने वाले समाज के दुर्बल व वंचित वर्ग के बच्चों को प्रवेश देना होगा और उन्हें कक्षा आठ तक नि:शुल्क व अनिवार्य शिक्षा देनी होगी। अधिनियम की धारा 3(1) में कहा गया है कि छह से 14 वर्ष तक के हर बच्चे को पड़ोस के विद्यालय में नि:शुल्क और अनिवार्य शिक्षा हासिल करने का हक होगा जब तक कि वह प्रारंभिक शिक्षा पूरी न कर ले। गरीब बच्चों को निजी स्कूलों में दाखिला दिलाने के सवाल पर बेसिक शिक्षा विभाग के वरिष्ठ अधिकारी कहते हैं कि अधिनियम के तहत छह से 14 वर्ष तक के बच्चे को पड़ोस के विद्यालय में दाखिला देने की बाध्यता है।

कंप्यूटर शिक्षा : लाखों खर्च, नतीजा सिफर

आगरा। बच्चों को आधुनिकता से जोड़ने के लिए शासन जो नींव बो रहा है उसमें सिर्फ बबूल के कांटे ही नजर आ रहे हैं। जनता की गाढ़ी कमाई को कंप्यूटर शिक्षा के नाम पर पानी की तरह बहाया जा रहा है। जबकि हकीकत के धरातल पर विद्यार्थी कंप्यूटर का माउस तक नहीं छू पाए हैं। शिक्षक न होने से शिक्षा के भवनों में पुराने कंप्यूटर धूल फांक रहे हैं, बावजूद इसके आगामी सत्र में कंप्यूटरों की नई खेप आ चुकी है।
पिछले वर्षों में 21 से 22 बेसिक विद्यालयों को कंप्यूटर उपलब्ध कराए गए थे। इस समय विद्यालय में तैनात शिक्षकों को कंप्यूटर चलाने का प्रशिक्षण दिया गया था। पदोन्नति आदि में शिक्षक विद्यालय में नहीं रह गए। ऐसे में कंप्यूटर को स्टार्ट करने वाला भी कोई नहीं रह गया है। मार्च के अंतिम सप्ताह में 40 और बेसिक विद्यालयों के लिए कंप्यूटर आ गए। सभी अशोक नगर स्थित सर्व शिक्षा अभियान के दफ्तर में रखे हैं। एनआईसी की टीम ने कंप्यूटर का सत्यापन कर लिया है। जल्द ही विद्यालयों में कंप्यूटर भेज दिए जाएंगे।
शासन से लाखों रुपये के कंप्यूटर तो भेजे जा रहे हैं, लेकिन उसके संचालन को सुनिश्चित नहीं किया जा रहा है। बेसिक स्कूलों के शिक्षक पदोन्नति के बाद बदल जाते हैं। जरूरी नहीं है कि जिस शिक्षक को कंप्यूटर लगाने के समय प्रशिक्षण दिया जाए वही विद्यालय में लंबे समय तक रुके। दूसरे पुराने शिक्षक अब कंप्यूटर सीखने में रुचि भी नहीं दिखा रहे हैं। इसके अलावा शासन से कंप्यूटर की मरम्मत आदि के लिए स्कूलों को कोई बजट नहीं दिया जा रहा है। इससे भी संचालन मुश्किल हो रहा है।

‘‘पदोन्नति और स्थानांतरण के समय ध्यान देना चाहिए कि कंप्यूटर प्रशिक्षण प्राप्त शिक्षक को जिन विद्यालयों में कंप्यूटर की सुविधा है, उसी में भेजा जाए। या फिर सभी बेसिक शिक्षकों को कंप्यूटर प्रशिक्षण दिया जाए। भविष्य में सारे विद्यालयों में कंप्यूटर लगने हैं। वर्तमान व्यवस्था में बच्चों को पूरा लाभ नहीं मिल पा रहा है।’’
नीना कटियार, एडी बेसिक
amar ujala 16/4/12

‘अभिभावकों पर बोझ नहीं डालेंगे स्कूल’


नई दिल्ली

सुप्रीम कोर्ट द्वारा शिक्षा के अधिकार को संवैधानिक रूप से अनिवार्य करने के बाद सरकार ने निजी शिक्षण संस्थानों को संकेत दे दिए हैं कि वे फीस बढ़ा कर विद्यार्थियों के अभिभावकों पर बोझ नहीं डाल सकते। शिक्षा के अधिकार (आरटीई) के तहत सरकार से सहायता पाने वाले निजी स्कूलों को अपनी 25 प्रतिशत सीटें छह से 14 साल तक के गरीब बच्चों को मुफ्त देना होंगी।

एक टीवी कार्यक्रम में केंद्रीय मानव संसाधन मंत्री कपिल सिब्बल ने कहा कि सरकार स्कूलों के साथ मिलकर बढ़े खर्च का विश्लेषण करेगी और राह निकालेगी। उन्होंने कहा कि सरकार के पास 12वीं पंचवर्षीय योजना में आरटीई के लिए कई परियोजनाएं हैं। सरकार आरटीई को पूरी तरह लागू करने के लिए अगले पांच साल में 2.31 लाख करोड़ रुपये खर्च करने जा रही है, लेकिन ऐसा नहीं है कि इसमें सब कुछ ठीक हो जाएगा। इसके लिए निजी स्कूलों को अपने अन्य संसाधनों को खंगालना होगा।