UPTET-अध्यापक पात्रता परीक्षा (टीईटी)-2011 को कैबिनेट ने निरस्त न करते हुए उसे पात्रता परीक्षा का दर्जा देने का फैसला किया है।
लखनऊ बेसिक शिक्षा परिषद के प्राथमिक स्कूलों में शिक्षकों की भर्ती के लिए बीते वर्ष आयोजित की गई अध्यापक पात्रता परीक्षा (टीईटी)-2011 को कैबिनेट ने निरस्त न करते हुए उसे पात्रता परीक्षा का दर्जा देने का फैसला किया है। कैबिनेट के फैसले के बाद शिक्षकों का चयन पुरानी व्यवस्था के अनुसार हाईस्कूल, इंटरमीडिएट और स्नातक स्तर पर पाए गए अंकों के आधार पर जिला स्तर पर तैयार की जाने वाली मेरिट के जरिए होगा। पात्रता परीक्षा का दर्जा मिलने की वजह से टीईटी-2011 उत्तीर्ण करने वाले अभ्यर्थी शिक्षकों की नियुक्ति के लिए आवेदन कर सकेंगे। शिक्षकों के चयन की पुरानी व्यवस्था बहाल करने के लिए कैबिनेट को उप्र बेसिक शिक्षा (अध्यापक) सेवा नियमावली में संशोधन करना होगा। साथ ही, 72,825 शिक्षकों की नियुक्ति के लिए जारी केंद्रीयकृत विज्ञप्ति को निरस्त कर संशोधित नियमावली के आधार पर नये सिरे से जिला स्तर पर विज्ञप्ति जारी करनी होगी। राष्ट्रीय अध्यापक शिक्षा परिषद (एनसीटीई) ने 11 फरवरी 2011 को राज्यों को जारी दिशानिर्देश में टीईटी को पात्रता परीक्षा का दर्जा दिया था। मायावती सरकार ने 13 नवंबर को आयोजित टीईटी से महज चार दिन पहले एनसीटीई की मंशा के विपरीत टीईटी की मेरिट को ही शिक्षक चयन का आधार बनाने का फैसला किया था। इस मकसद से कैबिनेट ने उप्र बेसिक शिक्षा (अध्यापक) सेवा नियमावली के नियम-14 में संशोधन किया था। विवादों व अनियमितता के घेरे में आये टीईटी-2011 के सभी पहलुओं का परीक्षण करने के लिए मुख्यमंत्री अखिलेश यादव ने मुख्य सचिव जावेद उस्मानी की अध्यक्षता में उच्च स्तरीय समिति गठित की थी। गौरतलब है प्राथमिक स्कूलों में शिक्षकों की नियुक्ति के लिए आयोजित टीईटी में 2,92,913 व उच्च प्राथमिक स्तर की परीक्षा में 2,64,928 अभ्यर्थी उत्तीर्ण हुए हैं।
NEWS SOURCE-DAINIK JAGRAN 24/07/12