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Tuesday, April 17, 2012

भर्ती से पहले शासन को बताएं कंपनियां

भर्ती से पहले शासन को बताएं कंपनियां
 लखनऊ उत्तर प्रदेश में प्रशिक्षण एवं सेवायोजन विभाग अपने पुराने नियमों को सख्त बनाकर बेरोजगारों को नौकरी के अधिक अवसर उपलब्ध कराने की तैयारी कर रहा है। नियमों के तहत सरकारी एवं गैर सरकारी संस्थानों को 25 से अधिक कर्मचारियों की नियुक्ति की सूचना सेवायोजन विभाग को देनी होती है, लेकिन अभी तक संस्थान इसमें ढिलाई बरतते रहे हैं। अब उन्हें इसकी सूचना विभाग को ऑनलाइन अनिवार्य रूप से देनी ही होगी। उत्तर प्रदेश में रिक्तियों की अनिवार्य अधिसूचना अधिनियम-1959 प्रक्रिया को ऑनलाइन करने की तैयारी की जा रही है। सरकारी व गैर सरकारी संस्थाओं को नौकरी देने से पहले रिक्तियों की सूचना सेवायोजन कार्यालयों को देनी होती है। हर तिमाही पर सूचना देने के प्रावधानों के बावजूद निजी कंपनियां सूचना देने से कतराती हैं। सेवायोजन विभाग के अधिकारियों को ऐसा न करने वाली संस्थाओं को चिह्नित कर उनके ऊपर कार्रवाई करने का अधिकार है। इसके बावजूद यह नियम सिर्फ कागजों तक सीमित रह गया है। 35 से 45 उम्र के बीच के बेरोजगारों को भत्ता देने की कवायद के बीच अब बचे बेरोजगारों को नौकरी के रास्ते खोलने के लिए अधिसूचना नियम को सख्त बनाया जा रहा है। सेवायोजकों को अब न केवल नौकरी की सूचना ऑन लाइन विभाग को उपलब्ध करानी होगी बल्कि उन्हें नौकरी पर रखने वाले बेरोजगारों की संख्या के बारे में भी बताना होगा। ऐसा न करने वाले सेवायोजकों पर सख्त कार्रवाई की तैयारी की जा रही है। सरकार की इस कवायद को बेरोजगारों को रोजगार देने की पहल के रूप में देखा जा रहा है। इस सख्ती का असर यह होगा कि सरकारी और गैर सरकारी संस्थाएं गुपचुप तरीके से नियुक्तियां नहीं कर पाएंगी और सरकार को भी इस बात की जानकारी होगी कि बेरोजगारों की संख्या में कितनी कमी आई है। उत्तर प्रदेश में 2009 में निजी सेवायोजकों की संख्या 8376 थी जो 2010 में बढ़कर 8404 हो गई, जबकि विभाग के आंकड़ों के मुताबिक प्रदेश में नॉन एक्ट व एक्ट के तहत 5.20 लाख कर्मचारी कार्यकर रहे हैं। जबकि सार्वजनिक क्षेत्र में नौकरी करने वाले कर्मचारियों की संख्या 16.31 लाख है। news -dainik jagran 17/4/12