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Monday, April 30, 2012

राजकीय इंटर कॉलेजों में सात हजार शिक्षकों के पद खाली

राजकीय इंटर कॉलेजों में सात हजार शिक्षकों के पद खाली
•अमर उजाला ब्यूरो
लखनऊ। प्रदेश में माध्यमिक शिक्षा की स्थिति साल दर साल लचर होती जा रही है। सैकड़ों स्कूलों और इंटर कॉलेजों में शिक्षकों का टोटा है। एक-एक शिक्षक के भरोसे इंटर कॉलेज चल रहे हैं, जबकि इनमें 13 शिक्षकों के पद स्वीकृत हैं। यह खुलासा माध्यमिक शिक्षा विभाग के जरिये नियुक्ति विभाग को भिजवाई गई रिपोर्ट में किया गया है।
माध्यमिक शिक्षा विभाग के अनुसार सूबे के करीब 600 राजकीय इंटर कॉलेजों में 7 हजार से ज्यादा शिक्षकों के पद खाली हैं। यही स्थिति प्रिंसीपल के पद को लेकर है। इन स्कूलों में 80 फीसदी से ज्यादा स्कूलों में प्रिंसीपल के पद खाली हैं। शिक्षकों की कमी वाले कॉलेजों में पुराने राजकीय इंटर कॉलेज और अपग्रेडेड इंटर कॉलेज शामिल हैं। बता दें कि 20 अप्रैल को नियुक्ति विभाग ने सभी विभागों के प्रमुख सचिवों और सचिवों को पत्र लिखकर खाली पदों का विस्तृत ब्योरा भिजवाने के निर्देश दिए थे। नियुक्ति एवं कार्मिक विभाग के प्रमुख सचिव राजीव कुमार ने सभी प्रमुख सचिवों और सचिवों को लिखे पत्र में कहा है कि राज्य मुख्यालय से लेकर ब्लॉक स्तर तक के खाली पदों का ब्योरा भिजवाएं। उन्होंने यह भी कहा था पद खाली रहने और नियुक्ति नहीं होने के पीछे क्या कारण हैं?
ऐसे में नियुक्ति विभाग को माध्यमिक शिक्षा विभाग द्वारा भिजवाए गए रिपोर्ट में शिक्षकों के ज्यादातर पद खाली होने के पीछे चार मुख्य कारण बताएं गए हैं। इसमें लंबे समय से शिक्षकों की भर्ती प्रक्रिया प्रभावित होना, तेजी से शिक्षकों का रिटायर होना, शिक्षकों की प्रोन्नति से पद का खाली होना और स्कूलों को इंटर कॉलेज में अपग्रेड किया जाना आदि शामिल है। कहा गया है कि पिछले कुछ सालों में 565 से ज्यादा स्कूल खुले और अपग्रेड हुए हैं। लेकिन इन स्कूलों के लिए शिक्षकों की नियुक्ति नहीं हुई। इस दौरान नए कॉलेजों में पुराने स्कूल और कॉलेजों के शिक्षकों को समायोजित किया गया।
गांव से शहर पहुंचे सर ः
विभागीय अधिकारियों का कहना है कि पिछले करीब 7 सालों में सैकड़ों की संख्या में स्कूल और कॉलेज अपग्रेड किए गए।
ग्रामीण क्षेत्रों के स्कूलों और कॉलेजों में कार्यरत शिक्षक जुगाड़ बिठा कर शहर के आसपास के क्षेत्रों में अपग्रेड हुए स्कूल और कॉलेजों में पहुंच गए। इसका सबसे ज्यादा नुकसान ग्रामीण क्षेत्रों के विद्यार्थियों को हुआ है।
•600 इंटर कॉलेज में एक-एक शिक्षक संभाल रहे हैं जिम्मेदारी
•80 फीसदी कॉलेजों में वर्षों से खाली हैं प्रिंसीपल के पद
•नियुक्ति विभाग को भेजी गई रिपोर्ट में हुआ  news-amar ujala 30/4/2