परीक्षा घोटाले की खबर से विवि में खलबली!
आगरा, जागरण संवाददाता: डॉ. बीआर अंबेडकर विवि में करोड़ों के घोटाले की खबर ने खलबली मचा दी। इसमें कहा गया है कि विवि की बीएड सत्र 2007-08 की परीक्षाओं में एक हजार करोड़ रुपए का घोटाला हुआ है। यह भी बताया है कि एसटीएफ मामले की जांच कर रही है। लखनऊ की एक पत्रिका की कॉपी मंगलवार को विवि में बांटी गयीं। इसमें छपी खबर पढ़कर विवि में सनसनी फैल गई। इसमें लिखा है कि पूर्व कुलपति प्रो. केएन त्रिपाठी के खिलाफ एसटीएफ ने जांच शुरू कर दी है। आरोप है कि उन्होंने बीएड सत्र 2007-08 में लगभग पांच हजार छात्र-छात्राओं को बिना काउंसिलिंग के परीक्षा में शामिल करा दिया। इसके एवज में परीक्षार्थियों से मोटी रकम वसूली गई। इसके अलावा भी कई घोटाले किए गए। इसमें उल्लेख किया है कि बसपा सरकार के कई मंत्री और शासन में बैठे अधिकारी भी इस खेल में शामिल थे। विवि में यह खबर आग की तरह फैली। उस परीक्षा से जुड़े अधिकारी-कर्मचारियों के चेहरों के रंग उड़ गए। अब उन्हें डर सता रहा है कि यदि जांच की आंच यहां तक आई तो कई लोगों की गर्दन नप सकती है। इस मामले में एसटीएफ के स्थानीय अधिकारी कुछ भी कहने को तैयार नहीं हैं। मामले में पूर्व कुलपति प्रो. केएन त्रिपाठी से भी बात करनी चाही, लेकिन उनसे बार-बार की कोशिश पर भी संपर्क नहीं हो सका। dainik jagran 11/4/12
आगरा, जागरण संवाददाता: डॉ. बीआर अंबेडकर विवि में करोड़ों के घोटाले की खबर ने खलबली मचा दी। इसमें कहा गया है कि विवि की बीएड सत्र 2007-08 की परीक्षाओं में एक हजार करोड़ रुपए का घोटाला हुआ है। यह भी बताया है कि एसटीएफ मामले की जांच कर रही है। लखनऊ की एक पत्रिका की कॉपी मंगलवार को विवि में बांटी गयीं। इसमें छपी खबर पढ़कर विवि में सनसनी फैल गई। इसमें लिखा है कि पूर्व कुलपति प्रो. केएन त्रिपाठी के खिलाफ एसटीएफ ने जांच शुरू कर दी है। आरोप है कि उन्होंने बीएड सत्र 2007-08 में लगभग पांच हजार छात्र-छात्राओं को बिना काउंसिलिंग के परीक्षा में शामिल करा दिया। इसके एवज में परीक्षार्थियों से मोटी रकम वसूली गई। इसके अलावा भी कई घोटाले किए गए। इसमें उल्लेख किया है कि बसपा सरकार के कई मंत्री और शासन में बैठे अधिकारी भी इस खेल में शामिल थे। विवि में यह खबर आग की तरह फैली। उस परीक्षा से जुड़े अधिकारी-कर्मचारियों के चेहरों के रंग उड़ गए। अब उन्हें डर सता रहा है कि यदि जांच की आंच यहां तक आई तो कई लोगों की गर्दन नप सकती है। इस मामले में एसटीएफ के स्थानीय अधिकारी कुछ भी कहने को तैयार नहीं हैं। मामले में पूर्व कुलपति प्रो. केएन त्रिपाठी से भी बात करनी चाही, लेकिन उनसे बार-बार की कोशिश पर भी संपर्क नहीं हो सका। dainik jagran 11/4/12