UPTET-अभ्यर्थियों को 2.16 प्रतिशत का नुकसान !
अभ्यर्थियों को 2.16 प्रतिशत का नुकसान !
इलाहाबाद : जहां दशमलव के दो अंकों में चयन का निर्णय होता है वहीं नियमों में विषमता के चलते प्रशिक्षु शिक्षकों की भर्ती के हजारों अभ्यर्थियों को 2.16 प्रतिशत अंक का नुकसान उठाना पड़ सकता है। यह उन अभ्यर्थियों के साथ होगा जिनकी प्रायोगिक परीक्षा दो सौ अंकों में हुई है। इस मामले को बेसिक शिक्षा विभाग द्वारा न सुलझाए जाने से अभ्यर्थियों ने अदालत की शरण ली है। शुक्रवार को सुनवाई होने की संभावना है। तमाम विश्र्वविद्यालयों में बीएड की प्रायोगिक परीक्षा चार सौ और दो सौ अंकों की होती है। भर्ती नियमों के अनुसार तैयार की गई मेरिट में प्रायोगिक और लिखित परीक्षा के अंक को समाहित किया जाएगा। बीएड के अंकों को तीस प्रतिशत का अधिभार दिया जा रहा है। सोनभद्र के अरविंद कुमार शुक्ला ने हाईकोर्ट में एक याचिका दायर कर इस गड़बड़ी को दूर किए जाने की मांग की है। प्रदेश के तमाम विश्वविद्यालय और शैक्षिक संस्थाओं द्वारा संचालित किए जा रहे बीएड पाठ्यक्रम में एकरूपता न होने के चलते पूर्णाकों में दो सौ अंकों का अंतर है। इसके चलते बीएड के प्राप्तांक में भी अंतर होगा जिससे समान अंक पाने के बाद भी तमाम अभ्यर्थी चयनित नहीं हो पाएंगे। उदाहरण के लिए पूर्वाचल विश्वविद्यालय जौनपुर, राममनोहर लोहिया अवध विश्र्वविद्यालय फैजाबाद आदि में लिखित परीक्षा छह सौ अंक की व प्रायोगिक परीक्षा चार सौ अंक की होती है जबकि छत्रपति साहूजी महाराज विश्र्वविद्यालय कानुपर, डॉ. भीमराव अंबेडकर विवि आगरा, रुहेलखंड विश्र्वविद्यालय में लिखित परीक्षा छह सौ अंक की और प्रायोगिक परीक्षा दो सौ अंक की होती है। चार सौ अंक की प्रायोगिक परीक्षा देने वालों को अतिरिक्त लाभ मिल रहा है।
इलाहाबाद : जहां दशमलव के दो अंकों में चयन का निर्णय होता है वहीं नियमों में विषमता के चलते प्रशिक्षु शिक्षकों की भर्ती के हजारों अभ्यर्थियों को 2.16 प्रतिशत अंक का नुकसान उठाना पड़ सकता है। यह उन अभ्यर्थियों के साथ होगा जिनकी प्रायोगिक परीक्षा दो सौ अंकों में हुई है। इस मामले को बेसिक शिक्षा विभाग द्वारा न सुलझाए जाने से अभ्यर्थियों ने अदालत की शरण ली है। शुक्रवार को सुनवाई होने की संभावना है। तमाम विश्र्वविद्यालयों में बीएड की प्रायोगिक परीक्षा चार सौ और दो सौ अंकों की होती है। भर्ती नियमों के अनुसार तैयार की गई मेरिट में प्रायोगिक और लिखित परीक्षा के अंक को समाहित किया जाएगा। बीएड के अंकों को तीस प्रतिशत का अधिभार दिया जा रहा है। सोनभद्र के अरविंद कुमार शुक्ला ने हाईकोर्ट में एक याचिका दायर कर इस गड़बड़ी को दूर किए जाने की मांग की है। प्रदेश के तमाम विश्वविद्यालय और शैक्षिक संस्थाओं द्वारा संचालित किए जा रहे बीएड पाठ्यक्रम में एकरूपता न होने के चलते पूर्णाकों में दो सौ अंकों का अंतर है। इसके चलते बीएड के प्राप्तांक में भी अंतर होगा जिससे समान अंक पाने के बाद भी तमाम अभ्यर्थी चयनित नहीं हो पाएंगे। उदाहरण के लिए पूर्वाचल विश्वविद्यालय जौनपुर, राममनोहर लोहिया अवध विश्र्वविद्यालय फैजाबाद आदि में लिखित परीक्षा छह सौ अंक की व प्रायोगिक परीक्षा चार सौ अंक की होती है जबकि छत्रपति साहूजी महाराज विश्र्वविद्यालय कानुपर, डॉ. भीमराव अंबेडकर विवि आगरा, रुहेलखंड विश्र्वविद्यालय में लिखित परीक्षा छह सौ अंक की और प्रायोगिक परीक्षा दो सौ अंक की होती है। चार सौ अंक की प्रायोगिक परीक्षा देने वालों को अतिरिक्त लाभ मिल रहा है।
news source-dainik jagran 11/01/2013
No comments:
Post a Comment