UPTET-टीईटी मेरिट के आधार पर चयन की मांग खारिज
इलाहाबाद (ब्यूरो)। इलाहाबाद हाईकोर्ट ने सहायक अध्यापकों की भर्ती के मामले में सुनवाई करते हुए स्पष्ट किया कि सहायक अध्यापक नियमावली 1981 के नियम छह में सरकार को न्यूनतम आयु सीमा निर्धारित करने का अधिकार नहीं है। वह सिर्फ अधिकतम आयु सीमा का निर्धारण कर सकती है। राज्य सरकार ने सेवा नियमावली में 16 वां संशोधन करते हुए चार दिसंबर 2012 को न्यूनतम आयुसीमा 18 से बढ़ाकर 21 वर्ष कर दी थी। इससे तमाम अभ्यर्थी अंडरएज हो गए।
कोर्ट ने नियमावली का हवाला देते हुए कहा कि आयु सीमा की गणना विज्ञापन जारी करने की तिथि के बाद आने वाले साल में की जाएगी। ऐसे में अभ्यर्थियों की आयु की गणना एक जुलाई 2012 के स्थान पर एक जुलाई 2013 को की जानी चाहिए। कुछ याचियों ने टीईटी मेरिट को ही चयन का आधार मानने की मांग की थी। उनका कहना था कि यह निर्णय पूर्व की सरकार द्वारा लिया गया था। इसे बहाल रखा जाना चाहिए। कोर्ट ने इसे अस्वीकार करते हुए याचिकाएं खारिज कर दी। शिक्षा मित्रोें द्वारा मौजूद विज्ञापित पदों में आरक्षण देने की मांग को लेकर दाखिल याचिका भी कोर्ट ने खारिज कर दी।
चार वर्षीय बीएलएड कोर्स को अर्हता में शामिल न किए जाने के खिलाफ दाखिल याचिकाओं पर कोर्ट ने राज्य सरकार से जवाब मांगा है। इस मुद्दे पर 29 जनवरी को सुनवाई होगी।
कई याचियों के अधिवक्ताओं ने मौखिक तौर पर आवेदन शुल्क कम करने की मांग की थी। कोर्ट ने कहा कि चूंकि किसी भी याचिका में फीस कम करने की मांग नहीं की गई है इसलिए इस पर कोई आदेश नहीं दिया जा सकता है। एक याचिका में आरक्षित वर्ग (एससी-एसटी) को दोहरा लाभ दिए जाने की शिकायत की गई है। कोर्ट ने इस पर सुनवाई केलिए 17 जनवरी की तिथि नियत की है। बीटीसी अभ्यर्थियों द्वारा घोषित पदों पर नियुक्ति देने की मांग भी खारिज कर दी गई है। याचिकाओं पर एनसीटीई के वकील रिजवाल अली अख्तर ने कोर्ट को नियमावली की जानकारी दी।
इलाहाबाद (ब्यूरो)। इलाहाबाद हाईकोर्ट ने सहायक अध्यापकों की भर्ती के मामले में सुनवाई करते हुए स्पष्ट किया कि सहायक अध्यापक नियमावली 1981 के नियम छह में सरकार को न्यूनतम आयु सीमा निर्धारित करने का अधिकार नहीं है। वह सिर्फ अधिकतम आयु सीमा का निर्धारण कर सकती है। राज्य सरकार ने सेवा नियमावली में 16 वां संशोधन करते हुए चार दिसंबर 2012 को न्यूनतम आयुसीमा 18 से बढ़ाकर 21 वर्ष कर दी थी। इससे तमाम अभ्यर्थी अंडरएज हो गए।
कोर्ट ने नियमावली का हवाला देते हुए कहा कि आयु सीमा की गणना विज्ञापन जारी करने की तिथि के बाद आने वाले साल में की जाएगी। ऐसे में अभ्यर्थियों की आयु की गणना एक जुलाई 2012 के स्थान पर एक जुलाई 2013 को की जानी चाहिए। कुछ याचियों ने टीईटी मेरिट को ही चयन का आधार मानने की मांग की थी। उनका कहना था कि यह निर्णय पूर्व की सरकार द्वारा लिया गया था। इसे बहाल रखा जाना चाहिए। कोर्ट ने इसे अस्वीकार करते हुए याचिकाएं खारिज कर दी। शिक्षा मित्रोें द्वारा मौजूद विज्ञापित पदों में आरक्षण देने की मांग को लेकर दाखिल याचिका भी कोर्ट ने खारिज कर दी।
चार वर्षीय बीएलएड कोर्स को अर्हता में शामिल न किए जाने के खिलाफ दाखिल याचिकाओं पर कोर्ट ने राज्य सरकार से जवाब मांगा है। इस मुद्दे पर 29 जनवरी को सुनवाई होगी।
कई याचियों के अधिवक्ताओं ने मौखिक तौर पर आवेदन शुल्क कम करने की मांग की थी। कोर्ट ने कहा कि चूंकि किसी भी याचिका में फीस कम करने की मांग नहीं की गई है इसलिए इस पर कोई आदेश नहीं दिया जा सकता है। एक याचिका में आरक्षित वर्ग (एससी-एसटी) को दोहरा लाभ दिए जाने की शिकायत की गई है। कोर्ट ने इस पर सुनवाई केलिए 17 जनवरी की तिथि नियत की है। बीटीसी अभ्यर्थियों द्वारा घोषित पदों पर नियुक्ति देने की मांग भी खारिज कर दी गई है। याचिकाओं पर एनसीटीई के वकील रिजवाल अली अख्तर ने कोर्ट को नियमावली की जानकारी दी।
news source-amar ujala 17/01/2013
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