UPTET-यूपीटीईटी की मार्कशीट को लेकर अभ्यर्थियों में भ्रम की स्थिति-बोर्ड के पास मौजूद रिकार्ड से जारी अंक पत्र मैच नहीं होने पर शिक्षक भर्ती के आवेदन निरस्त हो सकते हैं,अंकपत्र हैं चार-चार पर कौन सा लगाएं
इलाहाबाद। साल भर पहले विवादों के बाद ठंडे बस्ते में डाल दी गई यूपी शिक्षक पात्रता परीक्षा (यूपीटीईटी) एक बार फिर से सवालों के घेरे में है। जब से राज्य सरकार से प्रदेश में प्राथमिक विद्यालयों में 72 हजार से अधिक शिक्षकों के खाली पदों को भरने के लिए विज्ञापन जारी किया है, हर रोज नए विवाद सामने आ रहे हैं। टीईटी पास अभ्यर्थियों को नित नई परेशानी का सामना करना पड़ रहा है। 2011 में टीईटी रिजल्ट जारी होने के बाद गलतियों के कारण यूपी बोर्ड ने सात बार परिणाम में संशोधन किया। इसका नतीजा यह रहा कि टीईटी पास हर अभ्यर्थी के पास चार से पांच अंकपत्र हैं। अभ्यर्थी वर्तमान में आवेदन के साथ कौन सा अंकपत्र लगाएं, यह तय नहीं हो पा रहा है।
यूपी बोर्ड की ओर से नवंबर 2011 में टीईटी का रिजल्ट जारी होने के बाद अभ्यर्थियों ने ओएमआर के मूल्यांकन में गड़बड़ी का आरोप लगाकर कई बार अपने परीक्षाफल में संशोधन के लिए प्रत्यावेदन दिया। बोर्ड की ओर से कई बार मनमाने तरीके से परीक्षाफल में संशोधन किया गया। 2011 में शिक्षक भर्ती टीईटी मेरिट पर होने के कारण अभ्यर्थियों के लिए मेरिट का महत्व था, इस कारण से टीईटी के परिणाम में बदलाव के लिए परीक्षार्थियों ने अंक के लिए बोर्ड से लड़ाई लड़ी। बोर्ड की ओर से सात बार टीईटी रिजल्ट में संशोधन हुआ और हर परीक्षार्थी के पास टीईटी के चार-पांच अंकपत्र हो गए। ऐसे में जब टीईटी की मेरिट का कोई अर्थ नहीं रह जाने के बाद अभ्यर्थियों के सामने यक्ष प्रश्न यह है कि वह आवेदन के साथ कौन सा अंकपत्र लगाएं जिससे उनका फार्म निरस्त न हो। बोर्ड के पास मौजूद रिकार्ड से जारी अंक पत्र मैच नहीं होने पर शिक्षक भर्ती के आवेदन निरस्त हो सकते हैं, ऐसी घोषणा बोर्ड सचिव उपेंद्र कुमार पहले ही कर चुके हैं। उनका कहना है कि गलत अंकपत्र होने पर अभ्यर्थियों पर कानूनी कार्रवाई हो सकती है।
•शिक्षक भर्ती के आवेदन में टीईटी के अंकपत्र को लेकर अभ्यर्थियों में भ्रम की स्थिति
•विवादों से नहीं छूट रहा पीछा, यूपी बोर्ड ने अंकपत्र की गड़बड़ी से पल्ला झाड़ा
इलाहाबाद। साल भर पहले विवादों के बाद ठंडे बस्ते में डाल दी गई यूपी शिक्षक पात्रता परीक्षा (यूपीटीईटी) एक बार फिर से सवालों के घेरे में है। जब से राज्य सरकार से प्रदेश में प्राथमिक विद्यालयों में 72 हजार से अधिक शिक्षकों के खाली पदों को भरने के लिए विज्ञापन जारी किया है, हर रोज नए विवाद सामने आ रहे हैं। टीईटी पास अभ्यर्थियों को नित नई परेशानी का सामना करना पड़ रहा है। 2011 में टीईटी रिजल्ट जारी होने के बाद गलतियों के कारण यूपी बोर्ड ने सात बार परिणाम में संशोधन किया। इसका नतीजा यह रहा कि टीईटी पास हर अभ्यर्थी के पास चार से पांच अंकपत्र हैं। अभ्यर्थी वर्तमान में आवेदन के साथ कौन सा अंकपत्र लगाएं, यह तय नहीं हो पा रहा है।
यूपी बोर्ड की ओर से नवंबर 2011 में टीईटी का रिजल्ट जारी होने के बाद अभ्यर्थियों ने ओएमआर के मूल्यांकन में गड़बड़ी का आरोप लगाकर कई बार अपने परीक्षाफल में संशोधन के लिए प्रत्यावेदन दिया। बोर्ड की ओर से कई बार मनमाने तरीके से परीक्षाफल में संशोधन किया गया। 2011 में शिक्षक भर्ती टीईटी मेरिट पर होने के कारण अभ्यर्थियों के लिए मेरिट का महत्व था, इस कारण से टीईटी के परिणाम में बदलाव के लिए परीक्षार्थियों ने अंक के लिए बोर्ड से लड़ाई लड़ी। बोर्ड की ओर से सात बार टीईटी रिजल्ट में संशोधन हुआ और हर परीक्षार्थी के पास टीईटी के चार-पांच अंकपत्र हो गए। ऐसे में जब टीईटी की मेरिट का कोई अर्थ नहीं रह जाने के बाद अभ्यर्थियों के सामने यक्ष प्रश्न यह है कि वह आवेदन के साथ कौन सा अंकपत्र लगाएं जिससे उनका फार्म निरस्त न हो। बोर्ड के पास मौजूद रिकार्ड से जारी अंक पत्र मैच नहीं होने पर शिक्षक भर्ती के आवेदन निरस्त हो सकते हैं, ऐसी घोषणा बोर्ड सचिव उपेंद्र कुमार पहले ही कर चुके हैं। उनका कहना है कि गलत अंकपत्र होने पर अभ्यर्थियों पर कानूनी कार्रवाई हो सकती है।
•शिक्षक भर्ती के आवेदन में टीईटी के अंकपत्र को लेकर अभ्यर्थियों में भ्रम की स्थिति
•विवादों से नहीं छूट रहा पीछा, यूपी बोर्ड ने अंकपत्र की गड़बड़ी से पल्ला झाड़ा
news source-amar ujala-24/12/2012
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