सरकार को हुआ काबिल शिक्षकों की कमी का एहसास
नई दिल्ली शिक्षा में सुधारों के मामले में कई मोर्चो पर असफल रही सरकार अब गुणवत्तापूर्ण शिक्षा पर खास तवज्जो देगी। देर बहुत लगी, लेकिन अब उसकी भी समझ में आ गया है कि स्कूल से लेकर उच्चतर व तकनीकी शिक्षा तक में काबिल शिक्षकों की चुनौती से निपटे बिना उसकी सारी कोशिशों पर पानी फिर सकता है। लिहाजा शिक्षकों की शिक्षा व प्रशिक्षण के पुराने ढर्रे से अलग निकल नई नीतियों व कार्यक्रमों के साथ वह राष्ट्रीय स्तर पर एक मिशन शुरू करने जा रही है। सरकार ने स्कूली, उच्चतर और तकनीकी शिक्षा के क्षेत्र में योग्य शिक्षकों की भर्ती, प्रशिक्षण और प्रतिभाशाली छात्रों को इस तरफ आकर्षित करने की बाबत खाका तैयार कर लिया है। मानव संसाधन विकास मंत्रालय की ओर से तैयार मसौदे के मुताबिक, मिशन के तहत शिक्षकों की शिक्षा व उनके प्रशिक्षण के लिए नीतिगत बदलाव तो होगा ही, साथ में विभिन्न कार्यक्रमों व परियोजनाओं के जरिए भी इसमें दखल दिया जाएगा। उसी क्रम में शिक्षकों के चयन व नियुक्ति, उनकी शिक्षा के लिए पाठ्यक्रम, शिक्षक बनने से पूर्व और नौकरी के दौरान भी प्रशिक्षण कार्यक्रम, प्रशिक्षण में सूचना संचार प्रौद्योगिकी के समुचित उपयोग, गणित, विज्ञान, भाषा, सामाजिक विज्ञान, इंजीनियरिंग और व्यावसायिक शिक्षा के पाठ्यक्रमों के शिक्षकों पर खास जोर दिया जाएगा। सरकार को एहसास है कि जरूरत के मुताबिक हर साल योग्य शिक्षकों की शिक्षा व प्रशिक्षण के लिए शिक्षा संस्थानों की बेहद कमी है। आलम यह है कि अभी देश में लगभग 29 हजार शिक्षक प्रशिक्षक हैं, जबकि जरूरत इसे बढ़ाकर 40 हजार तक करने की है। इस मामले में उत्तर प्रदेश, बिहार, झारखंड, पश्चिम बंगाल और झारखंड जैसे बड़े राज्यों की स्थिति ज्यादा खराब है। बड़ी बात यह है कि प्राथमिक और माध्यमिक स्तर पर यह समस्या ज्यादा जटिल है। लिहाजा कुछ चुनिंदा केंद्रीय व राज्य विश्वविद्यालयों में शिक्षक शिक्षा के लिए अलग से स्कूल खोले जाने की योजना है। जबकि प्राइमरी शिक्षक, नर्सरी और माध्यमिक शिक्षकों के लिए अलग-अलग प्रशिक्षण दिलाने की योजना है। इसके अलावा जिला शैक्षिक एवं प्रशिक्षण संस्थान (डायट) और राज्य शैक्षिक अनुसंधान एवं प्रशिक्षण परिषद (एससीईआरटी) जैसे संस्थानों के प्रमुखों को भी प्रबंधन के गुर सिखाने के लिए शिक्षा प्रबंधन में पोस्ट ग्रेजुएट डिप्लोमा शुरु किया जाना है। इसके लिए अलग-अलग भारतीय प्रबंध संस्थानों (आइआइएम) में चार क्षेत्रीय शिक्षा प्रबंधन केंद्र खोलने की योजना है। इस सब पर अमल के पहले सरकार आगामी 13 अप्रैल को राज्यों के उच्च व तकनीकी शिक्षा मंत्रियों के साथ मशविरा भी करेगी। dainik jagran 4/4/12
नई दिल्ली शिक्षा में सुधारों के मामले में कई मोर्चो पर असफल रही सरकार अब गुणवत्तापूर्ण शिक्षा पर खास तवज्जो देगी। देर बहुत लगी, लेकिन अब उसकी भी समझ में आ गया है कि स्कूल से लेकर उच्चतर व तकनीकी शिक्षा तक में काबिल शिक्षकों की चुनौती से निपटे बिना उसकी सारी कोशिशों पर पानी फिर सकता है। लिहाजा शिक्षकों की शिक्षा व प्रशिक्षण के पुराने ढर्रे से अलग निकल नई नीतियों व कार्यक्रमों के साथ वह राष्ट्रीय स्तर पर एक मिशन शुरू करने जा रही है। सरकार ने स्कूली, उच्चतर और तकनीकी शिक्षा के क्षेत्र में योग्य शिक्षकों की भर्ती, प्रशिक्षण और प्रतिभाशाली छात्रों को इस तरफ आकर्षित करने की बाबत खाका तैयार कर लिया है। मानव संसाधन विकास मंत्रालय की ओर से तैयार मसौदे के मुताबिक, मिशन के तहत शिक्षकों की शिक्षा व उनके प्रशिक्षण के लिए नीतिगत बदलाव तो होगा ही, साथ में विभिन्न कार्यक्रमों व परियोजनाओं के जरिए भी इसमें दखल दिया जाएगा। उसी क्रम में शिक्षकों के चयन व नियुक्ति, उनकी शिक्षा के लिए पाठ्यक्रम, शिक्षक बनने से पूर्व और नौकरी के दौरान भी प्रशिक्षण कार्यक्रम, प्रशिक्षण में सूचना संचार प्रौद्योगिकी के समुचित उपयोग, गणित, विज्ञान, भाषा, सामाजिक विज्ञान, इंजीनियरिंग और व्यावसायिक शिक्षा के पाठ्यक्रमों के शिक्षकों पर खास जोर दिया जाएगा। सरकार को एहसास है कि जरूरत के मुताबिक हर साल योग्य शिक्षकों की शिक्षा व प्रशिक्षण के लिए शिक्षा संस्थानों की बेहद कमी है। आलम यह है कि अभी देश में लगभग 29 हजार शिक्षक प्रशिक्षक हैं, जबकि जरूरत इसे बढ़ाकर 40 हजार तक करने की है। इस मामले में उत्तर प्रदेश, बिहार, झारखंड, पश्चिम बंगाल और झारखंड जैसे बड़े राज्यों की स्थिति ज्यादा खराब है। बड़ी बात यह है कि प्राथमिक और माध्यमिक स्तर पर यह समस्या ज्यादा जटिल है। लिहाजा कुछ चुनिंदा केंद्रीय व राज्य विश्वविद्यालयों में शिक्षक शिक्षा के लिए अलग से स्कूल खोले जाने की योजना है। जबकि प्राइमरी शिक्षक, नर्सरी और माध्यमिक शिक्षकों के लिए अलग-अलग प्रशिक्षण दिलाने की योजना है। इसके अलावा जिला शैक्षिक एवं प्रशिक्षण संस्थान (डायट) और राज्य शैक्षिक अनुसंधान एवं प्रशिक्षण परिषद (एससीईआरटी) जैसे संस्थानों के प्रमुखों को भी प्रबंधन के गुर सिखाने के लिए शिक्षा प्रबंधन में पोस्ट ग्रेजुएट डिप्लोमा शुरु किया जाना है। इसके लिए अलग-अलग भारतीय प्रबंध संस्थानों (आइआइएम) में चार क्षेत्रीय शिक्षा प्रबंधन केंद्र खोलने की योजना है। इस सब पर अमल के पहले सरकार आगामी 13 अप्रैल को राज्यों के उच्च व तकनीकी शिक्षा मंत्रियों के साथ मशविरा भी करेगी। dainik jagran 4/4/12