स्कूलों में शारीरिक दंड पर लगे पाबंदी
नई दिल्ली, जागरण ब्यूरो : राष्ट्रीय बाल अधिकार संरक्षण आयोग (एनसीपीसीआर) ने देश में शिक्षा का अधिकार (आरटीई) कानून को प्रभावी ढंग से लागू करने के लिए शिकायत निवारण प्रणाली बनाने और स्कूल से लेकर केंद्र सरकार तक की जवाबदेही तय करने का सुझाव दिया है। आयोग ने इस कानून की कई खामियों को भी उजागर किया है। उसने स्कूलों व शिक्षण संस्थानों में शारीरिक दंड देने पर पाबंदी लगाने और बाल श्रम विरोधी कानून को आरटीई कानून के मुताबिक बनाने पर खासा जोर दिया है। देश में शिक्षा का अधिकार कानून की समीक्षा का अधिकार एनसीपीसीआर के पास है। साल 2010 में लागू किए गए इस कानून के दो साल पूरे होने पर आयोग ने अपनी समीक्षा रिपोर्ट में सरकार के शिक्षा का हक अभियान की तो सराहना की है, लेकिन इसकी कई कमियों की ओर भी इशारा किया है। आयोग ने बीते दो सालों में अपनी सोशल ऑडिट प्रक्रिया के तहत 12 राज्यों के 439 वार्ड व 700 स्कूलों के कामकाज का अध्ययन किया। इनमें 11 राज्यों में करीब 2500 मामलों की जन सुनवाई की गई। इस काम में उसने सौ से अधिक गैर सरकारी संगठनों की भी मदद ली। आयोग का मानना है कि शिक्षा का अधिकार कानून प्रभावी ढंग से लागू करने के लिए स्कूल से लेकर केंद्र सरकार को अपनी जवाबदेही सुनिश्चत करनी होगी। इसके अलावा ग्राम पंचायतों व शहरी निकायों को भी इसके क्रियान्वयन की जिम्मेदारी से जोड़ना होगा। dainik jagran 3/4/12
नई दिल्ली, जागरण ब्यूरो : राष्ट्रीय बाल अधिकार संरक्षण आयोग (एनसीपीसीआर) ने देश में शिक्षा का अधिकार (आरटीई) कानून को प्रभावी ढंग से लागू करने के लिए शिकायत निवारण प्रणाली बनाने और स्कूल से लेकर केंद्र सरकार तक की जवाबदेही तय करने का सुझाव दिया है। आयोग ने इस कानून की कई खामियों को भी उजागर किया है। उसने स्कूलों व शिक्षण संस्थानों में शारीरिक दंड देने पर पाबंदी लगाने और बाल श्रम विरोधी कानून को आरटीई कानून के मुताबिक बनाने पर खासा जोर दिया है। देश में शिक्षा का अधिकार कानून की समीक्षा का अधिकार एनसीपीसीआर के पास है। साल 2010 में लागू किए गए इस कानून के दो साल पूरे होने पर आयोग ने अपनी समीक्षा रिपोर्ट में सरकार के शिक्षा का हक अभियान की तो सराहना की है, लेकिन इसकी कई कमियों की ओर भी इशारा किया है। आयोग ने बीते दो सालों में अपनी सोशल ऑडिट प्रक्रिया के तहत 12 राज्यों के 439 वार्ड व 700 स्कूलों के कामकाज का अध्ययन किया। इनमें 11 राज्यों में करीब 2500 मामलों की जन सुनवाई की गई। इस काम में उसने सौ से अधिक गैर सरकारी संगठनों की भी मदद ली। आयोग का मानना है कि शिक्षा का अधिकार कानून प्रभावी ढंग से लागू करने के लिए स्कूल से लेकर केंद्र सरकार को अपनी जवाबदेही सुनिश्चत करनी होगी। इसके अलावा ग्राम पंचायतों व शहरी निकायों को भी इसके क्रियान्वयन की जिम्मेदारी से जोड़ना होगा। dainik jagran 3/4/12