आगरा, जागरण संवाददाता: शासन की मंशा पर अमल हुआ तो प्राइमरी और जूनियर स्कूलों के बच्चों की तरह सरकारी और सहायता प्राप्त माध्यमिक स्कूलों की छात्राएं भी मुफ्त में शिक्षा लेंगी। काफी पहले शिक्षण शुल्क माफ करने के बाद शासन में अब इस प्रस्ताव पर मंथन शुरू हुआ है।
बालिका शिक्षा को बेहतर करने के लिए सपा सरकार काफी संवेदनशील है। जन प्रतिनिधियों ने शासन स्तर पर बालिका शिक्षा को मुफ्त किए जाने की मांग की है। लिहाजा पिछले दिनों माध्यमिक शिक्षा निदेशालय की ओर से इस संबंध में विचार विमर्श शुरू हो गया है। सरकारी और सहायता प्राप्त स्कूलों में अध्ययनरत बालिकाओं को मुफ्त शिक्षा दिलाने के लिए प्रस्ताव भी बनाना शुरू कर दिया गया है। गौरतलब है कि शासन ने वर्ष 2000 में बालिकाओं को शिक्षण शुल्क से छूट दी थी। इसके बाद सरकारी और सहायता प्राप्त माध्यमिक स्कूलों के कक्षा 9 से 12 तक के सभी बच्चों का शिक्षण शुल्क माफ कर दिया गया।
अभी स्कूलों में बच्चों से केवल विकास, वाचनालय, रेडक्रॉस, महंगाई, विज्ञान, खेलकूद और परीक्षा शुल्क मिलाकर करीब 23 रुपये लिए जाते हैं। यह पैसा स्कूलों के फंड में जाता है। बालक-बालिका एडमिशन के दौरान ही वर्ष भर का यह शुल्क जमा करते हैं। लेकिन अब शासन सरकारी व सहायता प्राप्त स्कूलों की बालिकाओं को इस शुल्क से भी राहत देने की योजना बना रहा है।
संयुक्त शिक्षा निदेशक मुकेश अग्रवाल ने बताया कि शासन में इस संबंध में विचार विमर्श हुआ है। हमने स्कूलों को पूर्ववर्ती शासनादेशों का सख्ती से अनुपालन कराने के निर्देश दिए हैं।
बालिका शिक्षा को बेहतर करने के लिए सपा सरकार काफी संवेदनशील है। जन प्रतिनिधियों ने शासन स्तर पर बालिका शिक्षा को मुफ्त किए जाने की मांग की है। लिहाजा पिछले दिनों माध्यमिक शिक्षा निदेशालय की ओर से इस संबंध में विचार विमर्श शुरू हो गया है। सरकारी और सहायता प्राप्त स्कूलों में अध्ययनरत बालिकाओं को मुफ्त शिक्षा दिलाने के लिए प्रस्ताव भी बनाना शुरू कर दिया गया है। गौरतलब है कि शासन ने वर्ष 2000 में बालिकाओं को शिक्षण शुल्क से छूट दी थी। इसके बाद सरकारी और सहायता प्राप्त माध्यमिक स्कूलों के कक्षा 9 से 12 तक के सभी बच्चों का शिक्षण शुल्क माफ कर दिया गया।
अभी स्कूलों में बच्चों से केवल विकास, वाचनालय, रेडक्रॉस, महंगाई, विज्ञान, खेलकूद और परीक्षा शुल्क मिलाकर करीब 23 रुपये लिए जाते हैं। यह पैसा स्कूलों के फंड में जाता है। बालक-बालिका एडमिशन के दौरान ही वर्ष भर का यह शुल्क जमा करते हैं। लेकिन अब शासन सरकारी व सहायता प्राप्त स्कूलों की बालिकाओं को इस शुल्क से भी राहत देने की योजना बना रहा है।
संयुक्त शिक्षा निदेशक मुकेश अग्रवाल ने बताया कि शासन में इस संबंध में विचार विमर्श हुआ है। हमने स्कूलों को पूर्ववर्ती शासनादेशों का सख्ती से अनुपालन कराने के निर्देश दिए हैं।
source-dainik jagran 23/5/12