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Tuesday, May 22, 2012

हवा में हाथ-पैर मार रहे पीसीएस प्रतियोगी

हवा में हाथ-पैर मार रहे पीसीएस प्रतियोगी
 इलाहाबाद : संघ लोकसेवा आयोग की आइएएस प्रारंभिक परीक्षा देने वाले छात्रों के सिर से भले ही सीसैट फोबिया उतर गया हो पर असली परीक्षा अभी बाकी है। 10 जून को लोकसेवा आयोग की पीसीएस-2012 की सीसैट के पैटर्न पर पहली प्रारंभिक परीक्षा है। लिहाजा प्रतियोगियों में तमाम शंका-आशंका व्याप्त हैं। अभ्यर्थियों को सबसे ज्यादा दिक्कत पेपर के पैटर्न को लेकर है। आयोग ने कोई मॉडल पेपर नहीं जारी किया, लिहाजा अभ्यर्थी हवा में हाथ-पैर मार रहे हैं। संघ लोकसेवा आयोग द्वारा वर्ष 2011 की प्रारंभिक परीक्षा में सीसैट लागू किया गया था। सीसैट लागू होने के बाद विषय पर पकड़ रखने वाले हिंदी भाषी क्षेत्र के प्रतियोगी और ज्यादा उम्र वाले प्रतियोगियों ने इसका काफी विरोध किया था। उनका यह विरोध स्वाभाविक था। सीसैट के पैटर्न पर संघ लोकसेवा आयोग ने 20 मई को दूसरी प्रारंभिक परीक्षा ली है। खास बात यह रही कि दूसरी बार परीक्षा देने वाले प्रतियोगियों के चेहरे पर सीसैट का खौफ नहीं दिखा। छात्र सहज थे, लेकिन समस्या यहीं खत्म नहीं हुई। हिंदी भाषी क्षेत्र के प्रतियोगियों को प्रशासनिक पदों पर सबसे ज्यादा नौकरियां उप्र लोकसेवा आयोग देता है। लोकसेवा आयोग ने भी आइएएस की तर्ज पर पीसीएस-2012 की प्रारंभिक परीक्षा में सीसैट लागू कर दिया है। प्रतियोगी छात्र राकेश सिंह का कहना है कि प्रतियोगी यूपीपीएससी द्वारा लागू किए गए सीसैट के सिलेबस को लेकर बहुत ज्यादा स्पष्ट नहीं हैं। छात्र यह मानकर चल रहे हैं कि यूपीपीएससी का पेपर पैटर्न यूपीएससी जैसा नहीं रहेगा। लिहाजा परंपरागत गणित और रीजनिंग पढ़ी जा रही है। ऐसे में यदि पेपर का पैटर्न बदला तो छात्रों को नुकसान होगा। इसके अलावा लोकसेवा आयोग ने गणित और अंग्रेजी का जो सिलेबस दिया है, उसको लेकर भ्रम है। यूपीएससी में पैसेज पूछा जा रहा है, जबकि यूपीपीएससी में ग्रामर से ज्यादा प्रश्न आने की संभावना है। इसके अलावा आयोग ने मॉडल पेपर भी नहीं जारी किया, जबकि संघ लोक सेवा आयोग की ओर से जारी किया था। एक और महत्वपूर्ण बात यह है कि प्रतियोगी मानकर चल रहे थे कि सीसैट लागू होने के बाद लोकसेवा आयोग और संघ लोकसेवा आयोग की प्रारंभिक परीक्षा के लिए अलग-अलग तैयारी नहीं करनी पड़ेगी पर ऐसा नहीं हुआ। source-dainik jagran 22/5/12