सहारनपुर : कई विकल्पों पर मंथन और माथापच्ची के बाद आखिरकार टीईटी की मेरिट के फार्मूले पर मोहर लग गई है। मामले में सरकार द्वारा न्याय विभाग से मांगी गई 'राय' से यह संकेत मिले है। माना जा रहा है कि यदि सब कुछ अनुकूल रहा तो अगले सप्ताह प्रदेश सरकार फैसले का ऐलान कर सकती है।
प्रदेश सरकार के गले की फास बनी टीईटी प्रक्रिया के दिन फिरने के आसार नजर आने लगे है। मामले में शासन द्वारा गठित की गई दो समितियों में एक सचिव बेसिक शिक्षा व दूसरी मुख्य सचिव की अध्यक्षता में गठित की गई थी। सूत्रों का कहना है कि इनमें पहले कमेटी की राय टीईटी की मेरिट के अनुकूल नही थी जबकि दूसरी कमेटी की राय मेरिट प्रक्रिया के हक में रही। इसके बाद प्रदेश सरकार की ओर से टीईटी प्रक्रिया को रद्द न करने की बात सामने आई थी। अंतत: सरकार ने कानूनी उलझनों से बचने व अंतिम निर्णय के लिए करीब 14 दिन पहले मामला न्याय विभाग को 'राय' के लिए भेजा था।
तीन फार्मूलों पर मंथन
टीईटी पर निर्णय संबंधी मामला तीन फार्मूलों से होकर गुजरा। दो कमेटियों ने इन्हीं फार्मूलों पर विचार किया था। बताते है कि फार्मूला नं-3 को ही प्रक्रिया का आधार बनाने की सहमति दी गई। न्याय विभाग के पास राय के लिए मामला रेफर करने के पीछे भी यही प्रमुख कारण था।
आधार ने दी मजबूती
जानकार सूत्रों का कहना है कि तत्कालीन प्रदेश सरकार ने मंत्रिमंडल के सामूहिक निर्णय के बाद ही टीईटी के पात्रता के आधार को बदलकर उसकी मेरिट में बदलने का निर्णय लिया था। और यह निर्णय अकाट्य है।
फार्मूला-1
इसमें विशिष्ट बीटीसी की तर्ज पर हाईस्कूल, इंटर, स्नातक व बीएड के प्राप्तांकों को जोड़कर मेरिट बनाई जानी थी।
फार्मूला-2
इसमें स्नातक व बीएड के प्राप्तांकों का 25-25 प्रतिशत तथा टीईटी के प्राप्तांकों का 50 प्रतिशत जोड़ा जाना था।
फार्मूला-3
इसमें टीईटी की मेरिट के आधार पर सीधे नियुक्ति दिए जाने का प्रावधान है। बता दें कि यह प्रक्रिया तत्कालीन सरकार द्वारा पहले ही घोषित की गई थी।
और फार्मूले पर लगी मोहर?
विभागीय सूत्रों के मुताबिक न्याय विभाग से मांगी गई राय की रिपोर्ट सरकार को मिल चुकी है। इसमे फार्मूला नं-3 पर मोहर लगने के संकेत है। यदि सब कुछ अनुकूल रहा तो सरकार मामले पर अगले सप्ताह अपने फैसले का ऐलान कर सकती है। बताते है कि निकाय निर्वाचन की अधिसूचना घोषणा में आड़े नही आएगी। प्रक्रियानुसार नियुक्ति में डेढ़ से दो माह का समय लग सकता है।
आवेदक के पास उपलब्ध प्रमाण
1-ओएमआर शीट की कार्बन प्रति
2-टीईटी का अंक प्रमाणपत्र
3-इंटरनेट की आंसरशीट
4-परीक्षा की प्रश्न पुस्तिका
मूल ओएमआर से मिलान
यदि प्रदेश सरकार टीईटी की मेरिट के आधार पर नियुक्ति प्रक्रिया करती है तो आवेदक के पास मौजूद ओएमआर शीट की कार्बन प्रति का एजेंसी के पास मौजूद मूल ओएमआर शीट से मिलान किया जायेगा। मिलान में इंटरनेट की आंसरशीट भी आधार बनेगी। यदि आवेदक की ओएमआर शीट के मिलान में गड़बड़ी मिलती है तो उसे प्रक्रिया से बाहर कर दिया जायेगा।
source-dainik jagran 28/5/12