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Thursday, May 10, 2012

बेसिक शिक्षा विभाग ने 'दुर्बल' वर्ग के प्रस्ताव पर जनता से मांगे सुझाव


आरटीई : ढाई लाख तक की सालाना आय वाले गरीब
बेसिक शिक्षा विभाग ने 'दुर्बल' वर्ग के प्रस्ताव पर जनता से मांगे सुझाव
 लखनऊ, जागरण ब्यूरो : नि:शुल्क और अनिवार्य बाल शिक्षा का अधिकार अधिनियम, 2009 के तहत निजी स्कूलों में गरीब बच्चों के दाखिले के लिए बेसिक शिक्षा विभाग ने पात्रता तय करने की कवायद शुरू कर दी है। विभाग ने इस संबंध में प्रस्ताव तैयार कर लिया है। प्रस्ताव पर 'दुर्बल' और 'अलाभित' वर्गों के बच्चों के बारे में जनता से 25 मई तक सुझाव मांगे गए हैं। अधिनियम में कहा गया है कि निजी स्कूलों में कक्षा एक की 25 फीसदी सीटों पर अलाभित और दुर्बल वर्गों के बच्चों को प्रवेश दिया जाएगा। इन बच्चों को प्रारंभिक शिक्षा पूरी होने तक निजी स्कूलों में नि:शुल्क शिक्षा दी जाएगी। इन बच्चों की पढ़ाई पर होने वाले खर्च की प्रतिपूर्ति राज्य सरकार निजी स्कूलों को करेगी। बेसिक शिक्षा विभाग की ओर से तैयार किये गए प्रस्ताव के मुताबिक 'दुर्बल' वर्ग के तहत उन बच्चों को शामिल किया गया है जिनके माता-पिता या संरक्षक गरीबी रेखा के नीचे के कार्डधारक हों या ग्राम्य विकास विभाग की सूची में शामिल हों। 'दुर्बल' वर्ग के तहत उन बच्चों को भी शामिल किया गया है जिनके माता-पिता या संरक्षक वृद्धावस्था, विधवा या विकलांग पेंशन प्राप्त करते हों। इसमें वे बच्चे भी शामिल किये गए हैं जिनके माता-पिता या संरक्षक की अधिकतम सालाना आय ढाई लाख रुपये से कम हो। वहीं 'अलाभित' वर्ग के तहत उन बच्चों को भी शामिल किया गया है जो 40 फीसदी से अधिक विकलांगता से ग्रस्त हैं। बेसिक शिक्षा विभाग ने इस प्रस्ताव को सर्व शिक्षा अभियान की वेबसाइट पर डाल दिया है। प्रस्ताव के बारे में जनता से डाक या ई-मेल के जरिये 25 मई तक सुझाव मांगे गए हैं। सुझाव सर्व शिक्षा अभियान के राज्य परियोजना निदेशक को भेजे जा सकते हैं। सुझावों के आधार पर प्रस्ताव में संशोधन किया जा सकता है। उसके बाद संशोधित प्रस्ताव को कैबिनेट से मंजूरी दिलाने की कवायद की जाएगी।
source-dainik jagran 10/5/12