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Wednesday, May 9, 2012

स्ववित्तपोषित शिक्षकों ने मांगा विनियमितीकरण

स्ववित्तपोषित शिक्षकों ने मांगा विनियमितीकरण
लखनऊ : राज्य विश्वविद्यालय/ अनुदानित महाविद्यालय स्ववित्तपोषित शिक्षक संघ ने प्रदेश सरकार से विनियमितीकरण की मांग की है। संघ के प्रदेश अध्यक्ष डॉ. बलजीत श्रीवास्तव का कहना है कि एक ही विवि या महाविद्यालय में स्ववित्तपोषित शिक्षक दोयम दर्जे से बदतर की स्थिति में नौकरी कर रहे हैं। प्रदेश में ऐसे शिक्षकों की संख्या हजारों में हैं, जो सपा सरकार से उम्मीद लगाए बैठे हैं। संघ की ओर से अमीनाबाद स्थित गंगा प्रसाद लाइब्रेरी में सपा मंत्रियों के अभिनन्दन समारोह में प्रदेश अध्यक्ष ने शिक्षकों की समस्याओं को प्रमुखता से उठाया। संघ के प्रदेश महामंत्री डॉ. ओमकार नाथ पांडेय ने बताया कि यूजीसी 80 फीसद वेतन देने को तैयार है, लिहाजा प्रदेश सरकार पर ज्यादा भार भी नहीं पड़ेगा। प्रदेश में लगभग 1.5 अरब रुपये अनुदानित महाविद्यालयों के स्ववित्तपोषित पाठ्यक्रमों से फीस के रूप में आते हैं। शिक्षकों को विनियमित कर दिया जाता है तो 70-75 करोड़ रुपये का ही खर्च आएगा। समारोह में मुख्य अतिथि मंत्री स्वतंत्र प्रभार अरविंद सिंह गोप और विशिष्ट अतिथि मंत्री प्रोटोकॉल प्रो. अभिषेक मिश्र का अभिनन्दन किया गया। गोप और प्रो. मिश्र की ने शिक्षकों को आश्वासन दिया है कि विनियमितीकरण की प्रक्रिया शीघ्र ही शुरू की जाएगी। सपा, प्रबुद्ध प्रकोष्ठ के प्रदेश अध्यक्ष डॉ. समीर तिवारी ने इस संदर्भ में शिक्षकों के एक प्रतिनिधि मंडल की वार्ता मुख्यमंत्री से कराने की बात कही है। कार्यक्रम में प्रदेश उपाध्यक्ष डॉ. कीर्ति प्रकाश तिवारी, डॉ. संजय मिश्र व अन्य उपस्थित रहे। विश्र्वपटल पर भारतीय अस्मिता को दिया विस्तार : विश्र्व पटल पर भारतीय साहित्य को जीवंत करने वाले गुरुदेव रवींद्रनाथ टैगोर की याद में राज्य ललित कला अकादमी के राय कृष्ण दास सभागार में कार्यक्रम हुआ। संस्था संस्कार भारती द्वारा आयोजित गोष्ठी का विषय टैगोर के जीवन के विविध आयाम था। हिंदी संस्थान के पूर्व कार्यकारी अध्यक्ष डॉ. शंभुनाथ ने गुरुदेव को विश्र्व कवि कहकर संबोधित किया। वह बोले-रवींद्रनाथ टैगोर ने भारतीय अस्मिता को विश्र्वपटल पर विस्तारित किया। साहित्य एवं कला सेवाओं से उन्होंने भारतीय सांस्कृतिक चेतना में नई जान फूंकी। source-dainik jagran 9/5/12